प्रश्न 1 : नैतिकता की तीव्रता को प्रभावित करने वाले कारकों पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर: व्यक्तित्व :- दब्बु प्रवृति का व्यक्ति नैतिकता का अधिक वहीं आक्रामक व प्रभावशाली व्यक्ति नैतिकता का कम पालन करेगा। फ्रायड के अनुसार इड प्रधान व्यक्तित्व में नैतिकता की तीव्रता कम व सुपरइगो (नैतिक मन) प्रधान व्यक्तित्व में नैतिकता की तीव्रता अधिक होगी।
समाज की प्रकृति :- कठोर समाज में नैतिकता अधिक तीव्र जबकि लचीले समाज में तीव्रता कम।
सामाजिक धार्मिक संस्थाएं अधिक शक्तिशाली होगी तो नैतिकता की तीव्रता अधिक जबकि।
राजनीतिक संस्थाएं/संविधान अधिक मजबूत होने पर तीव्रता कम होगी।
मीडिया की भूमिका भी नैतिकता की तीव्रता को प्रभावित करती है।

प्रश्न 2 : मानवीय मूल्यों को परिभाषित करते हुए इनका जीवन में महत्व समझाइए।

उत्तर : मनुष्य के वे विश्वास व आदर्श जो उसे सदाचरण का आश्वासन देते हैं व सदैव नैतिक कर्म करने हेतु प्रेरित करते हैं जैसे- न्याय, प्रेम, करूणा आदि। ये व्यक्तित्व व निर्णय निर्माण में सहायक होते है, मूल्य सकारात्मक व नकारात्मक दोनों तरह के हो सकते है।
महत्व :
ये व्यक्तित्व को स्थायित्व प्रदान करते हैं।
नैतिक द्वन्द्व की स्थिति में व्यक्ति को उचित-अनुचित का निर्णय करने में सहायक होते हैं।
सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने व सुचारू संचालन में मदद करते हैं।
पारस्परिक सहयोग पर बल देते हैं।

प्रश्न 3 : भारत को प्रशासकों के व्यवहार में सुधार के लिए किए गए प्रयास बताइए।

उत्तर : प्रशासकों के व्यवहार में सुधार हेतु किए गए प्रयास निम्न है
ली कमीशन का गठन, ए.डी. गोखाला समिति, संथानम समिति, प्रशासनिक सुधार आयोग (ए. आर. सी.) प्रथम व द्वितीय।
द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की चतुर्थ रिपोर्ट- शासन में नीतिशास्त्र अनुच्छेद-311 की पुनर्समीक्षा व भ्रष्टाचार की रोकथाम अधिनियम 1988 को अधिक मजबूत बनाने का सुझाव देता है।
प्रशासनिक सुधारों पर होता समिति की रिपोर्ट।
सिविल सेवा आचरण नियम 1964 1
राजस्थान लोक सेवा गांरटी अधिनियम 2011।

प्रश्न 4 : सार्वजनिक संबंधों में नैतिकता के मानदण्ड क्या होने चाहिए?

उत्तर: • व्यक्तिगत हित पर सार्वजनिक हित को प्राथमिकता दी जाए
सार्वजनिक विश्वसनीयता हेतु निजी विश्वसनीयता भंग की जा सकती है।
• भावनात्मक पक्ष की बजाय संज्ञानात्मक/तार्किक पक्ष पर बल
• संविधान, कानून, आचरण संहिता पर आधारित
• सशर्त प्रोत्साहन का भाव (चूंकि कानून पर बल)
आत्मनिष्ठ पक्ष की बजाय वस्तुनिष्ठ पक्ष को महत्व
• भावनाओं की बजाय सार्वभौमिक मूल्यों को महत्व
• राष्ट्रहित सर्वोपरि

SUBJECT QUIZ

प्रश्न 5 : काण्ट आत्मा की अमरता को नैतिकता की पूर्व मान्यता क्यों मानते है?

उत्तर: काण्ट के अनुसार नैतिक उतरदायित्व के निर्धारण हेतु कर्ता में किसी नित्य तत्व को मानना आवश्यक है क्योंकि कर्ता का शरीर, मन, बुद्धि सभी परिवर्तनशील है जिन्हें किए गए कर्म हेतु उतरदायी नहीं ठहराया जा सकता। अतः आत्मा ही वह नित्य तत्व है।
साथ ही पूर्णतः नैतिक बनना एक जन्म में संभव नहीं है, जन्म-जन्मान्तरों तक नैतिक कर्म करने पर नैतिकता पूर्ण होती है अतः कर्ता में ऐसे तत्व को मानना आवश्यक है जो इस जन्म से पूर्व भी था और अगले जन्म में भी होगा।
अतः काण्ट नैतिक उतरदायित्व के निर्धारण व नैतिक पूर्णता की प्राप्ति हेतु कर्ता में शाश्वत तत्व आत्मा को स्वीकार करते है।

प्रश्न 6 : गांधी नीतिशास्त्र में दी व्रतों की अवधारणा को समझाइए।

उत्तर : गांधीजी ने 11 व्रतों की अवधारणा दी जिनका पालन एक अच्छे मनुष्य को करना चाहिए।
सत्य
अंहिसा
अस्तेय/चोरी न करना
ब्रह्मचर्य/अविवाहित जीवन
अपरिग्रह/संग्रह न करना
शारीरिक श्रम
अस्वाद/स्वाद या तालु पर नियंत्रण
अभय(निर्भयता)
सर्वधर्म समानता
स्वदेशी
अस्पृश्यता निवारण।
ये व्रत उच्च जागरूकता, प्राप्ति और अनुभूति की ओर 11 कदमों की तरह है। उपर्युक्त 11 में से प्रथम 5 विश्व के अधिकांश धर्मों में पाए जाते है। तथा पंचमहाव्रत कहलाते है।

प्रश्न 7 : व्यक्तिगत/सामाजिक जीवन में भावनात्मक बुद्धिमता की उपयोगिता बताइए।

उतर : उपयोगिता :-
भावनात्मक बुद्धिमान व्यक्ति सामाजिक संबंधों पर दीर्घकालीन गलत प्रभाव डालने वाली भावनाओं को नियन्त्रित करने में सक्षम होता है
दूसरों की आक्रामक भावनाओं को समझ उन्हें सही दिशा में मोड़ने में सक्षम जिससे समाज में विवादों में कमी होती हैं।
दो पीढ़ीयों के मध्य द्वन्द्व (जनरेशन गेप) को हल करने में सहायक
संवादहीनता के कारण टूटते संबंधों की भावनाओं का निरन्तर संप्रेषण कर बचाने में मददगार
साम्प्रदायिक व सामाजिक तनाव को कम करने में सहायक
समाज के सभी वर्गों में समन्वय में सहायक
सामाजिक सौहार्द की स्थापना
भावनात्मक बुद्धिमान व्यक्ति तनाव का बेहतर प्रबंधन कर पाता है और अवसाद का शिकार नहीं होता, उसका आत्मविश्वास अधिक होता है।

प्रश्न 8 : प्रशासक के लिए भगवद्गीता की राजश्री की अवधारणा को समझाइए।

उत्तर : एक राजा व ऋषि का संयोजन होने की आकांक्षा करती है उदाहरणस्वरूप निस्वार्थता व संतत्व का समन्वय, उसे निस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए। जब कोई सामाजिक दायित्व में शक्ति को जोड़ता है तो चारित्रिक समर्पण व व्यावहारिक दक्षता से उत्पन्न ताकत के साथ राजर्षि का एक अनूठा संश्लेषण होता है। योग राजर्षि की इस अवस्था को प्राप्त करने का एक साधन है। वह व्यक्ति जो कर्मयोग, ज्ञान योग व भक्ति योग का पालन करता है योगेश्वर’ बन जाता है।

प्रश्न 9 : निकृष्ट सुखवाद की स्थापना हेतु बेंथम कौनसा सिद्धान्त प्रतिपादित करते है?

उत्तर : बेंथम निकृष्ट सुखवाद (सुखों मे मात्रात्मक भेद) की स्थापना हेतु सुखों की मात्रा को मापने के लिए सात तत्वों वाले ‘सुखकलन सिद्धान्त का प्रतिपादन करते है जो निम्न है-
तीव्रता – जो सुख अधिक तीव्र उसकी मात्रा भी अधिक होती है।
अवधि – समय तक अनुभूत होने वाले सुख की मात्रा कम अवधि वाले सुख से अधिक
निश्चितता – जिस सुख की प्राप्ति अधिक निश्चित हो वह अधिक मात्रा का सुख
निकटता – निकट समय में प्राप्त होने वाला सुख दुरस्थ सुख से अधिक मात्रा का
उत्पादकता – जो सुख वर्तमान के साथ भविष्य का भी उपउत्पाद के रूप में सुख उदान करने अधिक मात्रा का
शुद्धता- जिस सुख में दुःखानुभुति मिश्रित ना हो वह अधिक
व्यापकता-जो सुख अधिकाधिक लोगों को प्राप्त हो वह अधिक मात्रा का।

CURRENT AFFAIRS

प्रश्न 10 : प्लेटो के अनुसार समाज में न्याय की अवधारणा को समझाइये।

उत्तर : प्लेटो के अनुसार समाज में तीन प्रकार के लोग होते है
वे लोग जिनमें विवेकरूपी सद्गुण प्रधान होता है उन्हें प्रशासनिक उतरदायित्व निभाना चाहिए।
वे लोग जिनमें साहसरूपी सद्गुण प्रधान हैं उन्हें समाज की सुरक्षा का दायित्व सम्भालना चाहिए।
वे लोग जो इच्छामूलक सद्गुण प्रधान है उन्हें उत्पादन का उतरदायित्व लेना चाहिए। यदि किसी समाज में तीनों प्रकार के लोग अपनी पूरी निष्ठा व क्षमता से कर्तव्य का पालन करते है तथा दूसरे के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करते तो ऐसी स्थिति समाज में न्याय की स्थिति कहलाती है।

प्रश्न 11 : मैंग्रोव वनस्पति

उत्तर : मैंग्रोव एक उष्णकटिबन्धीय तटीय वनस्पति है जो कि खारे एवं शुद्ध दोनों प्रकार के जलों में पायी जाती है। मैंग्रोव लवणोद्भिद होते है क्योंकि इनमें न्यूमेटाफोर जडे पायी जाती है। ये जलमग्न कीचड़ की निम्न ऑक्सीजन परिस्थितियों के अनुकुल होते है। सुन्दरवन डेल्टा क्षेत्र सुन्दरी नामक मैंग्रोव वनस्पति के लिए जाना जाता है। भारत का कुल मैंग्रोव आच्छादन 4921 वर्गकिमी (ISFR-2017) है जो मैंग्रोव के वैश्विक आच्छादन का 3.3% भाग है। भारत में यह गुजरात, पश्चिम बंगाल, अण्डमान-निकोबार, महाराष्ट्र, गोवा कर्नाटक, केरल ओडिसा, आन्ना व तमिलनाडु में पायी जाती है।

प्रश्न 12 : गोंडवाना शैल क्रम

उत्तर : यह शैलक्रम कार्बोनीफेरस से जुरैसिक काल के बीच निर्मित हुआ। ये अवसादी चट्टाने हैं जिनमें जीवाश्म पाये जाते हैं। भारत का अधिकांश बिटुमिनस कोयला भण्डार इस क्रम की शैल में पाया जाता है। लगभग 98% कोयला भण्डार इस शैल क्रम में पाया जाता है। इस प्रकार की चट्टानें मुख्यतया नदी घाटी क्षेत्रों जैसे दामोदर नदी घाटी, महानदी, गोदावरी, सोन एवं वर्धा नदी घाटी में पायी जाती है। ये चट्टानें आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण होती है।

प्रश्न 13 : विभिन्न भूकम्पीय तरंगों को समझाइये।

उत्तर : P तरंगें :- गति उच्च (6-13 किमी./सेकण्ड) होती है, इनकी प्रकृति ध्वनि तरंगों की भांति अनुदैर्ध्य होती है जिसमें कण तरंग की गति की दिशा में कंपन्न करते है। इन तरंगों की गति घनत्व के साथ बढ़ती है, ये सभी माध्यमों में गति कर सकती है।
5 तरंगें :- गति उच्च (4/7 कि.मी./सेकण्ड) होती है इनकी प्रकृति प्रकाश तरंगों की तरह अनुप्रस्थ होती है जिसमें कण तरंग की दिशा के लंबवत गति करते है। इनकी गति घनत्व के साथ बढ़ती है, ये केवल ठोस माध्यम में गति कर सकती है।
Lतरंगें :- कम गति (3 कि.मी./सेकण्ड) वाली अनुप्रस्थ तरंगें, सर्वाधिक विनाशक तरंगे हैं और सतह पर बड़े पैमाने पर फैली होती है।

प्रश्न 14 : विक्टोरीया झील की व्याख्या कीजिए।

उत्तर : अफ्रीका महाद्वीप के केन्या, तंजानिया व युगाण्डा देशों के मध्य लगभग 70 हजार वर्ग किलोमीटर में फैली झील है।
अफ्रीका महाद्वीप की सबसे बड़ी तथा विश्व की तीसरी बड़ी मीठे पानी की झील है।
ये झील भ्रंश घाटी की दोनों शाखाओं के मध्य स्थित है।
इस झील से विषुवत रेखा गुजरती है।
यहाँ से नील नदी का (श्वेत नील) उद्गम स्थल माना जाता है।
इसमें स्थित मिगिनगो द्विप को लेकर केन्या व युगाण्डा के मध्य विवाद हैं।

प्रश्न 15: ग्रेट बेसिन पठार

उत्तर : ग्रेट बेसिन पठार एक अंतःपर्वतीय पठार है जो कि अमेरिका के पश्चिमी भाग में सिएरा नेवादा एवं रॉकी पर्वतों के बीच स्थित है। यह उत्तरी अमेरिका का वृहद्तम अन्तर पर्वतीय पठार है। यहाँ उष्ण एवं शुष्क परिस्थितियों पायी जाती है। यहाँ अनेक खारे पानी की झीले जैसे ग्रेट साल्ट लेक आदि पायी जाती है। इस पठारी प्रदेश में मृत घाटी स्थित है जो उच्च तापमान एवं उत्तरी अमेरिका के निम्नतम बिन्दु के रूप में जानी जाती है। यह क्षेत्र मोजव मरूस्थल का भाग है।

प्रश्न 16 : भारत में लेटेराइट मृदा के क्षेत्रों को बताते हुए इसके निर्माण को स्पष्ट करें।

उत्तर : भारत में लेटेराइट मृदा मेघालय के पठार (गारो पहाड़ियों) राजमहल की पहाड़ियों, छोटा नागपुर का पठारी भाग, छतीसगढ़ व उड़ीसा के पहाड़ी क्षेत्र, तमिलनाडु व आन्ध्रप्रदेश की पहाड़ियों तथा केरल व कर्नाटक की पहाड़ियों में पाई जाती है। भारत के लगभग 1.25 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र में फैली है। वह क्षेत्र जहाँ पर 150 सेमी से अधिक वर्षा तथा जो क्षेत्र लगभग 1000 मीटर तक ऊँचा हो, व तेज सूर्य का प्रकाश हो ऐसे क्षेत्रों में निक्षालन प्रक्रिया द्वारा चूना व सिलिका बहकर चले जाते है और केवल चट्टानी आवरण की अधिकता रहती है, लेटेराइट मृदा कहलाती है। इसमें रोपण कृषि की जाती है तथा इंट उद्योग में भी इसका उपयोग होता हैं।

NOTES

प्रश्न 17 : भारत में पाये जाने वाले उष्णकटिबंधीय वनस्पति का वर्णन करें।

उत्तर : भारत के उष्णकटिबंध वाले क्षेत्र में सदाबहार (200cm से अधिक वर्षा), पतझड़ी (75cm से 200cm से वर्षा), व शुष्क (75cm से कम वर्षा) प्रकार की वनस्पति पाई जाती है। सदाबहार वनस्पति पश्चिमी घाट व अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में पाई जाती है। इसमें मुख्यतः एबोनी, रोजवुड, महोगनी, रबर, बांस व सिनकोना के वृक्ष है पतझड़ी वनस्पति उड़ीसा, छतीसगढ़, मध्यप्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडु क्षेत्रों में पाई जाती है। इसमें साल, सागवान, शीशम, चन्दन, महुआ के वृक्ष पाए जाते है। शुष्क वन महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु व आन्ध्रप्रदेश क्षेत्रों में पाई जाती है, इसमें शीशम, बबूल, कीकर, सिरस आय जैसे वृक्ष पाए जाते है।

प्रश्न 18 : गंगा के मैदान की तुलना ब्रह्मपुत्र के मैदान से कीजिए।

उत्तर : गंगा के मैदानी भाग का निर्माणगंगा व उसकी सहायक नदीयों द्वारा हुआ है तथा यह उत्तरप्रदेश, बिहार व प.बंगाल राज्यों में विस्तृत है जबकि ब्रह्मपुत्र के मैदान का निर्माण ब्रह्मपुत्र व उसकी सहायक नदीयों द्वारा हुआ तथा यह मुख्य रूप से केवल असम राज्य में फैला हुआ है। गंगा का मैदान अधिक लम्बा (1400 किमी) व अधिक चौड़ा (450-500 किमी.) जबकि ब्रह्मपुत्र का मैदान कम लम्बा (750 किमी) व कम चौड़ा (90 किमी.) है। गंगा के मैदान में पूर्वी भाग बाढ़ग्रस्त है जबकि ब्रह्मपुत्र का लगभग पूरा मैदान बाढ़ग्रस्त है।

प्रश्न 19 : थार्नथ्वेट के अनुसार राजस्थान की जलवायु का वर्गीकरण समझाइये।

उत्तर : थार्नथ्बेट ने वनस्पति, वाष्पीकरण की मात्रा, वर्षा एवं तापमान के मौसमी व मासिक वितरण के आधार पर वर्गीकरण किया है।
राजस्थान में :-
CA’w या उपआई (शुष्क एवं आई शुष्क) जलवायु प्रदेश- वनस्पति- सवाना व मानसूनी, क्षेत्र- दक्षिण पूर्वी उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा झालावाड़, कोटा व बाँरा।
DA’w या उष्ण आई (आई शुष्क) जलवायु प्रदेश – वनस्पति – आई मरूस्थलीय, विस्तार- पूर्वी राजस्थान व अरावली पर्वत पट्टीय जिले।
DB’w अर्द्धशुष्क (मिश्रित) जलवायु प्रदेश :- वनस्पति कंटिली झाडीयाँ, विस्तार- गंगानगर, चुरू, बीकानेर हनुमानगढ़
EAd उष्ण शुष्क (मरूद्भिद) जलवायु प्रदेश- बाड़मेर, जैसलमेर, प.जोधपुर, द.पू. बीकानेर।

प्रश्न 20 : राजस्थान में पायी जाने वाली मृदा के वैज्ञानिक वर्गीकरण को चित्र सहित समझाइये।

उत्तर : इस वर्गीकरण में मृदा के उत्पति कारकों एवं गुणों को महत्व दिया जाता है।
एरिडोसोल :- शुष्क जलवायु में पायी जाने वाली खनिज मृदा शेखावाटी, पाली नागौर, जोधपुर, जालौर में विस्तृत। (ऑरथिङ- उपमृदाकण)
अल्फीसोल :- अरावली के पूर्वी भाग में, मध्यम से पूर्ण विकसित प्रोफाइल, इसमें मटियारी मिट्टी की प्रतिशत मात्रा अधिक।
एन्टिसोल :- इसमें भिन्न-भिन्न जलवायु में स्थित मृदाओं का समावेश, रंग- हल्का पीला-भूरा, लगभग संपूर्ण पश्चिमी राजस्थान में विस्तृत।
इनसेप्टीसोल :- अर्द्धशुष्क से आई जलवायु क्षेत्र में विस्तार दक्षिणी एवं पूर्वी राजस्थान।
वर्टीसोल :- विस्तार दक्षिण पूर्वी राजस्थान, क्ले की उपस्थिति अतः मटियारी प्रकृति।

प्रश्न 21 : पशुपालन विकास हेतु राजस्थान सरकार की योजनाएं कौनसी है।

उत्तर : पशुधन विकास हेतु राजस्थान सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएँ
पशुधन निःशुल्क आरोग्य योजना- इसके अन्तर्गत लगभग 200 प्रकार की दवाईयां पशु चिकित्सालयों में निःशुल्क वितरित की जा रही है।
ऊष्ट्र विकास योजना- ऊँट के बछड़े के जन्म पर ऊँटपालक को 10,000/- की सहायता राशि।
कामधेनु योजना- गाय/भैंस का बीमा किया जाता है
FMDCP (Food and Mouth Disease Control Programme) मवेशियों को खुरपका/ मुँहपका रोग से | बचाने के लिए टीका।
आविकापालक योजना भेड़ों का बीमा।
मत्स्यपालन, बकरीपालन, सूअरपालन आदि के लिए अनेक कार्यक्रम राज्य पशुपालन विभाग द्वारा चलाए जा रहे है।

प्रश्न 22 : राजस्थान में सीसा-जस्ता खनिज के उत्पादक क्षेत्र एवं इसके औद्योगिक उपयोग पर लघु लेख लिखिए।

उत्तर : उत्पादक क्षेत्र – जावर-देबारी (उदयपुर)- इसमें मोचिया, बल्लारिया, जावरमाला व बरोई खान शामिल है। राजपुरा-दरीबा व सिंदेसर खुर्द (राजसमंद), रामपुरा आगुचा (भीलवाड़ा), आगूचा- गुलाबपुरा, चौथ का बरवाड़ा (सवाईमाधोपुर), गुढ़ा किशोरीदास (अलवर) आदि। औद्योगिक उपयोग- सीसा- रंग बनाने में, कारतूस निर्माण में बैटरी निर्माण । जस्ता- रंग बनाने में, दवाई बनाने में, ड्राई सेल बैटरी में। राजस्थान में भारत के सीसा-जस्ता भण्डारों के लगभग 89% भाग स्थित है। अतः सीसा-जस्ता उत्पादन में राजस्थान का एकाधिकार है।

प्रश्न 23 : रूधिर के कार्य लिखिए।

उत्तर : रूधिर परिवहन प्रतिरक्षण एवं नियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परिवहन :- 0_2 तथा 〖co〗_2 का फेफड़ों तथा शरीर के अन्य अंगों के मध्य, पोषक तत्वों का पाचन तंत्र से अंगों तक, उत्सर्जी पदार्थों को वृक्क एवं यकृत तक, हार्मोन को ग्रन्थियों से लक्षित अंगों तक, ताप का त्वचा एवं अंगों में समवितरण।
प्रतिरक्षण :- श्वेत रूधिर कणिकाएं रोग कारकों को नष्ट करती है, एण्टीबॉडी एवं अन्य प्रोटीन एन्टीजन को नष्ट करते है, बिम्बाणु रूधिर का थक्का जमाते है।
नियमन :- रूधिर अम्ल क्षार, जल, लवण का सन्तुलन बनाए रखते है।

ONE LINER QUESTION ANSWER

प्रश्न 24 : जैवविविधता क्षति के कारण लिखिए।

उत्तर : पृथ्वी पर स्थित जीवों में मिलने वाली विभिन्नता एवं विविधता ही जैव विविधता वर्तमान में निम्मलिखित कारणों से अनेक प्रजातियों विलुप्त हो रही है-
प्राकृतिक आवासों का विखण्डित एवं नष्ट होना।
प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन/वन्य जीवों का शिकार
आक्रामक विदेशी प्रजातियों जैसे गाजरघास, जलकुम्भी, नाइलपर्च मछली आदि।
सहविलुप्तता- इसके अन्तर्गत एक जाति के विलुप्त होने पर उस पर निर्भर प्रजातियां भी विलुप्त हो जाती हैं।
जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण, वनों की कटाई आदि।

प्रश्न 25 : ई-प्रशासन के लाभ लिखिए।

उत्तर : इन्टरनेट के माध्यम से प्रशासनिक सुविधाएँ उपलब्ध करवाने से शासन एवं जनता दोनों को लाभ है। इससे शासन व्यवस्था में सुधार आता है। सरकार अधिक कार्यकुशल बनती है, नागरिकों की शिकायतों का समाधान होता है। सरकार के कामकाज के तरीके में सुधार होता है। सूचना का आदान-प्रदान होता है। नागरिकों का सरकार से जुड़ाव होता है। जवाबदेहिता व पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। भ्रष्टाचार में कमी आती है। नागरिकों को अनेक ऑनलाइन सेवाएँ यथा- जन्म मृत्यु आय एवं जाति आदि प्रमाणपत्र, रोजगार आवेदन, विद्युत एवं जल उपभोग बिल रेल-बस टिकट, मनरेगा, कृषि एवं सूचना का अधिकार सम्बन्धित अनेक सेवाएँ प्राप्त होती है।

प्रश्न 26 : फुलरीन

उत्तर : फुलरीन कार्बन का क्रिस्टलीय अपररूप है जिसकी संरचना जटिल गोलाकार होती है इसमें 60,70 या अधिक कार्बन परमाणु घट्भुजाकार/पंचभुजाकार या फुटबाल जैसी संरचना बनाते हैं। इसमें C-60 सर्वाधिक स्थायी फुलरीन है जिसमें 32 फलक हैं, 20 षट्कोणीय, 12 पंचकोणीय, C-60 विद्युत का कुचालक होता है तथा बन्ध लम्बाई 1.404 है।
उपयोग- प्राकृतिक गैस के शुद्धिकरण में तथा आण्विक बेयरिंग में। उच्च ताप पर अतिचालक होने के | कारण इसका तकनीकी महत्व है।

प्रश्न 27 : गैसों का अणुगति सिद्धांत

उत्तर: – गैस के एक अणु का आयतन गैस के कुल आयतन की तुलना में नगण्य होता है।
गैसीय अणुओं के मध्य आकर्षण बल नगण्य होता है इसलिए अणु युक्त गति करता है।
इन अणुओं की गति पर गुरूत्वाकर्षण का प्रभाव नगण्य होता है।
गैस के अणु पूर्ण प्रत्यास्थ होते अर्थात आपस में अथवा पात्र की दीवारों पर टकराने पर गतिज ऊर्जा का क्षय नहीं होता ।
इनकी गतिज ऊर्जा परम ताप के समानुपाती होती है।
गैसीय अणुओं का दाब पात्र की दीवार पर टक्करों से उत्पन्न होता है।

प्रश्न 28 : पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न पोषण स्तरों का वर्णन कीजिए।

उत्तर : पोषण स्तर पारिस्थितिकी तंत्र की खाद्य श्रृंखला में जीव की स्थिति को स्पष्ट करते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र में सभी जैविक घटकों को विभिन्न पोषण स्तरों में विभाजित किया जाता है।
पोषण स्तर 1 :- प्राथमिक उत्पादक जो प्रकाश संश्लेषण करते हैं सम्मिलित है उदाहरण – पादप।
पोषण स्तर 2 :- इसमें शाकाहारी जीव जैसे – गाय, खरगोश, हिरण आदि सम्मिलित है
पोषण स्तर 3 :- इसमें मांसाहारी जीव जैसे – लोमड़ी भेडिया आदि सम्मिलित हैं।
पोषण स्तर 4 :- इसमें शीर्षस्थ उपभोक्ता तथा सर्वाहारी जीव – शेर, मोर, मनुष्य आदि सम्मिलित है।

प्रश्न 29 : मिश्रण और यौगिक में अंतर बताइये।

उत्तर :-

मिश्रण  यौगिक  
* मिश्रण के अवयवी घटकों को भौतिक विधियों द्वारा पृथक किया जा सकता है। उदा.- छानना, वाष्पन, उर्वपातन
* मिश्रण के बनते समय ऊर्जा का न तो अवशोषण होता है और न ही उत्सर्जन
* मिश्रण का संघटन अनिश्चित होता है।
* इनका गलनांक, क्वथनांक घनत्व इत्यादि अनिश्चित होता है।
* मिश्रण में 2 या 2 से अधिक प्रकार के अणु होते है।
* यौगिकों को केवल रासायनिक विधियों से की अवयवी पदार्थों/घटकों में पृथक किया जा सकता है। -भौतिक विधि द्वारा नहीं
* प्रायः ऊर्जा मुक्त/अवशोषित होती है
* यौगिको का संघटन निश्चित होता है।
* इनका गलनांक,क्वथनांक,घनत्व निश्चित होते है।
* यौगिक में केवल एक ही प्रकार के अंक विद्यमान होते है।

प्रश्न 30 : प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम 2018 बताइये।

उत्तर:- उस प्लास्टिक को भी चरणबद्ध तरीके से हटाना है जिसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता है, या । जिसका कोई अन्य उपयोग नहीं हो सकता।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्लास्टिक उत्पादकों, आयतको और मालिको के पंजीकरण के लिए नई प्रणाली तैयार करेगा जो केन्द्रीयकृत होगी।
इसमे इस बात का भी ध्यान रखा जायेगा कि प्लास्टिक उत्पादक, रिसाइकील करने वालों और निर्यातकों के लिए कारोबार करना आसान रहे ।
उन प्लास्टिक उत्पादकों के लिए राष्ट्रीय पंजीकृत प्रणाली होगी जिनकी इकाइयाँ दो से ज्यादा राज्यों में जबकि एक या दो राज्यों में मौजूदगी वाले छोटे उत्पादकों को राज्य स्तर पर पंजीयन कराना होगा।

प्रश्न 31 : कठोर जल के मृदुकरण की प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : जिस जल में कैल्शियम या मैग्नीशिम के क्लोराइठ सल्फेट, बाइकार्बोनेट घुले हो उसे कठोर जल कहते है तथा उपर्युक्त लवणों को हटाना मृदुकरण है।
अस्थायी कठोरता/कार्बोनेट की कठोरता- यह जल में घुलनशील कैल्शियम और मैग्नीशियम के बाईकार्बोनेट की उपस्थिति के कारण होती है इसे उबालने पर या इसमे बुझा हुआ चूना मिलाने पर ये अघुलनशील कार्बोनेट में बदल जाते है।
स्थायी कठोरता/गैर कार्बोनेट कठोरता- यह जल में घुलनशील कैल्शियम तथा मैग्नीशियमके क्लोराइड या सल्फेट लवणों की उपस्थिति के कारण होती है। इसमें वॉशिंग सोडा मिलाने पर ये अघुलनशील कार्बोनेट अवक्षेपों में बदल जाते है। इसे दूर करने हेतु आयन विनिमय प्रक्रिया जिसमें जियोलाइट का प्रयोग कर Ca/Mg जियोलाइट अवक्षेप में बदला जाता है।

प्रश्न 32 : नाभिकीय संलयन की अभिक्रिया को उदाहरण सहित समझाओं।

उत्तर : वह अभिक्रिया जिसमें दो छोटे नाभिक आपस में मिलकर बड़े नाभिक का निर्माण करते है तथा साथ ही ऊष्मा के रूप में ऊर्जा का उत्पादन होता है। इसे नाभिकीय संलयन कहते है। इस अभिक्रिया के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। अतः इसे ताप नाभिकीय अभिक्रिया भी कहते है। अभिक्रिया के दौरान उत्सर्जित ऊर्जा को नाभिकीय संलयन की ऊर्जा कहते है।
〖1^H〗^2 + 〖1^H〗^3 □(■(High Temp.@→┬(High Pressur) ) ) 〖2^He〗^4+ 〖0^H〗^2 + ऊर्जा

सूर्य तथा सभी तारों पर नाभिकीय संलयन की अभिक्रिया से ही ऊष्मा ऊर्जा उत्सर्जित होती है।

प्रश्न 33 : CRISPR तकनीक क्या है।

उत्तर : Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats Gene editing की नई तकनीक है जिससे किसी भी जीव के जीन को कम समय में कम कीमत पर edit किया जा सकता है। बैक्टिरिया के DNA में एक निश्चित fragment कुछ अंतराल बाद repeat होता है। Space के आधार पर CAG (Crisper Associated Gene) का निर्माण होता है जो एक एंजाइम (case) बनाता है जो उस विषाणु के डीएनए को काटने का काम करता है। इस प्रक्रिया को डीएनए को काटने एवं अन्य जीन को समायोजित करने की तकनीक के रूप में विकसित किया गया है। किसानों द्वारा फसलों को रोग प्रतिरोधी बनाने के लिए और उच्च पैदावर के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया जा रहा हैं। यह अभियांत्रिकी के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है।

प्रश्न 34: वायु प्रदूषण के नियंत्रण की रणनीतियों के बारे में लिखिए।

उत्तरः संसाधनों के सीमित एवं विवेकशील उपयोग द्वारा वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके नियंत्रण के कुछ तरीके निम्न हैं।
अवशोषण (Absorption): इस भौतिक प्रक्रिया में गैस को तरल में घुलने दिया जाता है। इसके लिए जल सबसे उपयुक्त माध्यम है।
अधिशोषण (Adsorption): इस भौतिक प्रक्रिया में तरल/गैस प्रवाह का संबंध ठोस से किया जाता है। अधिशोषक (चारकोल, सिलिका जैल/रेजिन) का बार-बार उपयोग किया जाता है।
संघनन (Condensation): परिवेशी (ambient) ताप पर बहुत कम वाट दाब वाले हाइड्रोकॉर्बन/अन्य कॉर्बनिक ± पदाथो को हटाने की सबसे उपयुक्त प्रक्रिया है। रासायनिक अभिक्रियाओं द्वारा भी वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।

प्रश्न 35 : मेघनाथ साहा के विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के बारे में लिखिए।

उत्तरः उष्मागतिकी, सापेक्षतावाद और परमाणु सिद्धांतों के बारे में अध्ययन किया और अध्यापन भी करवाया।
सूर्य और तारों के बारे में अध्ययन किया और उनके तापमान, भीतरी संरचना तथा संयोजन की समस्याओं के समाधान हेतु आयनीकरण सूत्र प्रस्तुत किया। इससे वर्ण क्रम रेखाओं की उपस्थिति समझाई जा सकती है।
सूत्र द्वारा खगोलज्ञ को सूर्य। तारों का तापमान, दबाव आदि का पता लगता है।
साहा इन्सटीट्यूट ऑफ न्यूक्लीयर फिजिक्स स्थापित किया तथा भारत का पहला साइक्लोट्रॉन लगवाया।
उन्होंने बाढ़ के कारणों का अध्ययन कर अनेक नदी परियोजनाओं के सुझाव दिए। (भाँखडा नांगला, दामोदर घाटी)


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