प्रश्न : 1 आधुनिक भारत के निर्माण में स्वामी दयानन्द सरस्वती के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
उतर : ब्रिटिश साम्राज्य तथा पाश्चात्य विचारधारा के प्रभावों की प्रतिक्रिया स्वरूप तथा हिन्दू धर्म में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने हेतु स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज (1875 ई.) की स्थापना की।
जन्म आधारित वर्णव्यवस्था व छूआछत का विरोध कर सामाजिक समानता का प्रयास व बाल विवाह पर्दा-प्रथा, दहेज प्रथा, बहुविवाह का विरोध कर महिला सशक्तिकरण का प्रयास किया।
हिन्दु धर्म के बहुदेववाद अवतारवाद, मूर्तिपूजा, पशुबलि तथा इस्लाम व ईसाई भी) से समाज में आधुनिकता का संचार किया।
वे धर्म में व्याप्त कुरीतियों का ‘सत्यार्थ प्रकाश में खंडन किया। उनकी मृत्यु उपरान्त स्थापित दयानन्द ऐंग्ला-वैदिक स्कूल ने शिक्षा के माध्यम (महिला शिक्षा प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने स्वदेशी व स्वराज की अवधारणा दी जो कालानतर में राष्ट्रीय आंदोलन का मुख्य केन्द्र बनी।
हाँलाकि उनके वेदो पर अतिशय बल तथा शुद्धि आन्दोलन ने समाज को एक नई कूपमंडुकता की तरफ मोडा परन्तु फिर भी लोगो में भारतीय संस्कृति के गौरवगान से आत्म विश्वास के उनके कार्य को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता ।
प्रश्न : 2 आजादी के पूर्व राजस्थान में महिला शिक्षा के विकास को दर्शाते हुए उसके विकास में आने वाली बाधाओं पर प्रकाश डालिए।
उतर : आजादी पूर्व ईसाई मिशनरी संस्थाओं ने 1861 ई में नसीराबाद में प्रथम गर्ल्स वर्नाकुलनर स्कूल की स्थापना की जहाँ प्रथमतया स्काउट गाइड प्रारम्भ हुई तथा तीन छात्राओं को आगरा मेडिकल में छात्रवृति देकर अध्ययन हेतु भेजा गया। पुष्कर तथा अजमेर मे भी मिशनरी संस्थाएं स्थापित की गई।
आर्य समाज ने अजमेर में परोपकारिणी सभा की स्थापना कर शिक्षा का प्रचार किया तथा 1913 ई में सावित्री कॉलेज (अजमेर) व महिला महाविद्यालय (उदयपुर) आर्यसमाज से प्रेरित थे।
देशी रियासतों में सर्वप्रथम रामसिंह द्वितीय ने जयपुर में कन्या विद्यालय की स्थापना (1866) तथा हेवसन कन्या विद्यालय (जोधपुर) तथा लेडी एन्गिन स्कूल (बीकानेर) व भरतपुर (1866) उदयपुर (1866) व अलवर-कोटा (1872) में स्कूलों की स्थापना हुई। 1921 में सन्यासी सम्मेलन (शेखावाटी), महिला शिक्षा सदन (हटूंडी, 1945), महिला मंडल (उदयपुर 1938), वनस्थली विद्यापीठ (1935, पंचमुखी शिक्षा) आदि प्रयास मुख्य थे।
पर्दा प्रथा, बाल विवाह, योग्य शिक्षिकाओं का अभाव, प्राकृतिक आपदाएं व भौगोलिक दूरियां प्रमुख बाधाएँ थी। प्रारम्भ जब सिलाई, बुनाई ही सिखाई जाती है वहीं 1937 के बाद छात्र व छात्राओं के लिए समान पाठ्यक्रम लागू हुआ।
प्रश्न : 3 अशोक द्वारा निर्मित स्तम्भों की विशेषताएँ बताइये तथा डेरियस के स्तम्भों से इनकी तुलना कीजिए।
उतर : मौर्य सम्राट अशोक द्वारा राजकीय उपदेशों (धम्म) के प्रचार, राजकीय घोषणाओं व प्रतीक के रूप में व युद्ध में जीत के उपलक्ष्य में स्तम्भों का निर्माण करवा उन्हें देश के विभिन्न भागों में स्थापित करवाया गया।
ये स्तम्भ निम्न विशेषताओं से युक्त थे-
• चुनार के बलुआ पत्थर से निर्मित
• औसतन 40-50 फीट ऊँचे स्तम्भ
• एकाश्मक स्तम्भ
• स्वतंत्र रूप से स्थापित सपाट व पॉलिशयुक्त चमकदार
• लेखयुक्त
स्तम्भ के 4 भाग थे जिनमें लंबा मूठ आधार का निर्माण करता था जिसके ऊपर अवांगमुखी कमल की आकृति बनाई गई थी, कमल पर वृताकार या आयताकार चौकी निर्मित की गई जिस पर पशु आकृति स्थित होती थी।
उदाहरण : सांची व सारनाथ (भारत का राष्ट्रीय प्रतीक), प्रयाग स्तम्भ लेख, रूम्मिनदेई, संकिसा, लौरिया नन्दनगढ आदि।
डेरियस के स्तम्भों से तुलना :- समानाताऐं- स्तम्भों पर पॉलिश, देवनामप्रिय की उपाधि व उल्टे कमल की आकृति के कारण मार्शल व पर्सीब्राउन अशोक कालीन स्तम्भों को ईरानी स्तम्भों से प्रेरित मानते है किंतु निम्न अंतर (असमानाताऐं) अशोक स्तम्भों की डेरियस के स्तम्भों से पृथकता प्रमाणित करते है –
डेरियस के स्तम्भ
• कई प्रस्तर खण्डों से निर्मित, धारीदार
• भवन का हिस्सा, लेखरहित
• शीर्ष पर मानवाकृतियाँ
• स्तम्भ पर सीधे घंटे की आकृति
अशोक के स्तम्भ
• एकाश्मक व प्लेन
• स्वतन्त्र स्तम्भ, लेखयुक्त
• शीर्ष पर पशु आकृतियां
• स्तम्भ पर उल्टे घंटे की आकृति
CURRENT AFFAIRS
प्रश्न : 4 एम.एस.एम.ई. को प्रोत्साहन देने हेतु किए गए कार्यों का वर्णन कीजिए।
उतर : सूक्ष्म, लघु, एवं मध्यम उद्योग वे है जिनका टर्नओवर क्रमशः 5 करोड़ से कम, 5 करोड़ से 75 करोड़ और 75 करोड़ से 250 करोड़ है। इस क्षेत्रक को विकास इंजन कहा जाता है जिसका सकल घरेलु उत्पादन में 8% योगदान तथा यह 50 मिलियन जनसंख्या को रोजगार प्रदान करता है। जिसमें अनुसूचित जातियों, जनजातियों पिछडे वर्ग तथा महिलाओं की समुचित भागीदारी है।
सरकार की पहलें :-
एक नया वेब पोर्टल ‘www.psbloaning59min.com’ लॉन्च किया गया है।
1000 करोड़ तक के नए ऋणों पर केवल 2% ब्याज दर रखी गई है।
500 करोड़ रू. के कारोबार वाली सभी कंपनियों को अब अनिवार्य रूप से व्यापार प्राप्तियाँ ई-डिस्काउण्ट सिस्टम के तहत लाया जायेगा, इस पोर्टल में शामिल होने के बाद उद्यमी अपनी प्राप्तियों के आधार पर बैंकों से ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र को अब एम.एस.एम.ई. से 25% अनिवार्य खरीद मे से कम से कम 3% महिला उद्यमियों से खरीदना अनिवार्य है।
सभी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को गवर्नमेण्ट ई-मार्केटप्लेस (GeM) की सदस्यता लेना अनिवार्य है।
देशभर में 20 टेक हब और 100 स्पोक केन्द्र स्थापित करने के लिए 6000 करोड़ रूपये के पैकेज की घोषणा।
फार्मा क्षेत्र में एम.एस.एम.ई कंपनियो के लिए गठित विशेष कलस्टरों की स्थापना के व्यय का 70% केन्द्र सरकार द्वारा वहन किया जायेगा।
एम.एस.एम.ई इकाइयों को 8 श्रम कानूनों और 10 केन्द्रीय नियमों के सम्बन्ध में केवल एक वार्षिक रिटर्न दाखिल करना होगा।
इस्पेक्टर राज से मुक्ति दिलाने हेतु निरीक्षण हेतु कंपनी का चयन कम्प्यूटरीकृत लॉटरी के माध्यम से किया जायेगा।
पर्यावरणीय नियमों के अनुपालन को आसान बनाया जायेगा और किसी कारखाने को स्थापित करने हेतु पर्यावरणीय क्लीयरेंस के लिए एकल मंजूरी की व्यवस्था।
प्रश्न : 5 यूनिवर्सल बेसिक इनकम क्या है? इसके लाभ एवं इसके समक्ष प्रमुख चुनौतियों के बारे में बताइए।
उतर : यह बिना शर्त के नियमित रूप से सभी को उपलब्ध करवाई जाने वाली न्यूनतम आय है। यह सीधे लाभार्थी के बैंक खते में हस्तांतरित की जायेगी। इसका विचार सर्वप्रथम आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में रखा गया था।
लाभ :
गरीबी उन्मूलन में सहायक है।
लाभार्थी अपनी इच्छानुसार लाभ का उपयोग कर सकता है।
सार्वभौमिक होने की वजह से निष्कासन की त्रुटियां दूर हो जायेगी।
भ्रष्टाचार समाप्त होगा।
वितीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।
प्रशासनिक खर्च/लागत कम होगी।
लाभार्थी मनोवैज्ञानिक रूप से सशक्त होगा।
चुनौतियाँ-
सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है।
वित के प्रबन्धन की कोई व्यवस्था नहीं है।
- नैतिक रूप से कार्य करने की प्रेरणा समाप्त हो सकती है।
लाभ का प्रयोग गलत तरीके से किया जा सकता है। - लैंगिक असमानता के कारण लाभ पर पुरूषों का अधिक अधिकार होगा।
वितीय समावेशन अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है। - लाभ का निर्धारण करना चुनौती है तथा लाभ को महंगाई से नहीं जोड़ा गया है।
- मध्यप्रदेश में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है।
सिक्किम इसे लागू करने वाला प्रथम राज्य होगा।
प्रश्न : 6 भारत छोड़ो आन्दोलन एक स्वतः स्फूर्त क्रांति थी। स्पष्ट कीजिए।
उतर : अगस्त प्रस्ताव व क्रिप्स मिशन की असफलता, व्यक्तिगत सत्याग्रह से उत्पन्न राजनैतिक चेतना, द्वितीय विश्वयुद्ध की असामान्य परिस्थितियों से उत्पन्न असंतोष, व जापान की बढ़त के कारण गांधीजी द्वारा प्रारम्भ भारत छोड़ो आन्दोलन में प्रमुख कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी (ऑपरेशन जीरो ऑवर), समान्तर सरकारों की स्थापना (बलिया, सतारा, तामलुक), जनता का हिंसक प्रदर्शन, पुलिस प्रशासन की जन सहानुभूति, सरकारी इमारतों का निशाना बनाना आदि घग्नाओं में अगस्त क्रांति स्वतः स्फूर्त प्रतीत होती है, परन्तु यह पूर्णतया सत्य नहीं क्योंकि- द्वितीय पंक्ति के नेताओं (जयप्रकाश नारायण, उषा मेहता, लोहिया) द्वारा नेतृत्व, गांधीजी द्वारा 8 अगस्त के ‘करो | मरो भाषण में दिए गए निर्देशों, तथा उषा मेहता द्वारा स्थापित रेडियो स्टेशन पर लोहिया जी के संदेशों स यह आंदोलन पूर्णतया स्वतः स्फर्त नहीं था तथा हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि लम्बे राष्ट्रीय आंदोलन में तपकर भारतीय जनता राजनीतिक परिपक्वता प्राप्त कर चुकी थी तथा उसे आन्दोलन संचालन का अनुभव था।
बात दीगर? है कि अन्य गाँधीवादी आंदोलनों की अपेक्षा इसमें स्वतः स्फूर्तता का गुण अधिक था तथा इसने आजादी के यक्ष प्रश्न को हल कर दिया था
NOTES
प्रश्न : 7 राजस्थान में पंच पीरों के बारे में संक्षेप से बताते हुए लोक देवताओं व लोक संतो के योगदान पर चर्चा कीजिए।
उतर : पाँच पीर-
पाबूजी :-
गायों की रक्षा में प्राण न्यौछावर करने वाले रैबारी जाति के आराध्य, ऊँट रक्षक व प्लेग रक्षक कड़ रावणहत्था वाद्य के साथ भील भोपे बांचते है तथा चैत्र अमावस्या को कोलमण्ड जोधपुर में मेला।
रामदेव जी :- साम्प्रदायिक सद्भाव के संस्थापक , कामडिया पंथ की स्थापना की जिसकी महिलाएं तेरहताली नृत्य करती है। रूणेचा (जैसलमेर) में भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से एकादशी तक इनका मेला लगता है।
गोगाजी :- गजनवी से युद्ध करने वाले देवता जिन्होंने हिन्दू मुस्लिम एकता की स्थापना की व गायों की रक्षा में प्राण न्यौछावर किए, सर्परक्षक देवता, ददरेवा (चुरू) व गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) में भाद्रपद कृष्ण नवमी को मेला।
हड़बू जी :- शगुन शास्त्र के ज्ञाता, पंगु गायों की सेवा की, इनके मंदिर बेगंटी (जोधपुर) में इनकी बैलगाड़ी की पूजा की जाती है।
मेहाजी :- बापीणी जोधपुर में कृष्ण जन्माष्टमी को मेला, साम्प्रदायिक सौहार्द की स्थापना की।
योगदान :
लोक देवताओं व लोक संतो ने जातिवाद व छूआछूत का विरोध (आईमाता), साम्प्रदायिक सौहार्द की स्थापना (जाहिरपीर), नारी सशक्तिकरण (मीरा), आडम्बरों का विरोध (निर्गुण भक्ति) आदि सामाजिक सुधारों को प्रोत्साहित किया।
पर्यावरण संरक्षण व पशु प्रेम (जाम्भोजी, राजाराम) का परिचय दिया।
धर्म व संस्कृति की रक्षा कर राष्ट्रीयता की भावना का परिचय दिया।
लोकगीत व लोक नृत्यों (तेरहताली) को प्रोत्साहन
क्षेत्रीय भाषाओं व साहित्य का विकास
स्थापत्य (मंदिर) चित्रकला (फड़, पिछवाई) का विकास
सामाजिक समरसता
सरल भक्ति पर बल
निर्गुण भक्ति रूपी नई विचारधारा का विकास
नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान में भूमिका
प्रश्न : 8 मुगलकालीन चित्रकला पर लेख लिखिए
उतर : मुगल चित्रकला के साक्ष्य बाबर के समय ‘बिहजाद’ द्वारा मुगल वंश वृद्धि का चित्र बनाने से शुरू हुए जिसे ईरान से दो चित्रकार ‘मीर सैय्यद अली’ व ‘अब्दुस्समद’ को भारत लाकर हुमायूँ ने आगे बढ़ाया और चित्रकला को समर्पित शाही कारखाने की स्थापना कर अकबर ने मुगल चित्रकला को स्थायित्व प्रदान किया। अकबर के समय हम्जानामा, रज्मनामा, तुतीनामा आदि का चित्रण हुआ। चित्रकला में ईरानी प्रभाव में कमी व भारतीय प्रभाव में वृद्धि हुई। युरोपीय सम्पर्क से व्यक्ति चित्र, अग्रसंक्षेपण, त्रिआयामी चित्र, जैसी विशेषताओं का चित्रों में समावेश हुआ। राजपूत प्रभाव ने चित्रों में गहरे लाल व फिराजी रंग का प्रयोग बढ़ाया। इसी समय ईरानी, यूरोपीय, राजपूत विशिष्टताओं वाली समन्वित चित्रशैली का विकास हुआ। दसवंत, बसावन, मुकुंदलाल, केशव आदि अकबरकालीन महत्वपूर्ण चित्रकार थे। जहांगीर के समय चित्रकला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंची वह स्वयं एक कुशल चितेरा व कला का पारखी था। इस समय प्राकृतिक वनस्पतियों व जीवों, शिकार दृश्यों व दरबार के प्रतिमापरक विषयों (स्वर्ग की यात्रा, ताजपोशी) का चित्रण हुआ छवि चित्रण में रूपवादी शैली को प्रधानता, एक ही विषयवसतु के चित्र ‘मोरक्को’ का प्रचलन फूल पतियों से अलंकृत हाशिया चित्रण, प्रकृति चित्रण की बहुलता आदि इस समय चित्रकला की विशेषताएं थी। उस्ताद मंसूर (साइबेरियाई सारस), अबुल हसन (चिनार के पेड़ पर गिलहरीया) दौलत, बिशनदास, फार्रुखबेग आदि प्रमुख चित्रकार थे। शाहजहाँ के काल में मुहम्मद नासिर, हुनर, विचित्र आदि कलाकारों ने छवि व दरबारी चित्रण की परम्परा जारी रखी, चित्रों में रंगों की चमक बढ़ गई व अलंकरण में सोने का प्रयोग हुआ। हालांकि चित्रों की उत्कृष्टता में कमी आई। औरंगजेब के समय चित्रकला का पतन प्रारम्भ हुआ हालांकि राजपूताना, कागड़ा आदि क्षेत्रीय शैलियों का विकास हुआ।
प्रचलन फूल पतियों से अलंकृत हाशिया चित्रण, प्रकृति चित्रण की बहुलता आदि इस समय चित्रकला की विशेषताएं थी। उस्ताद मंसूर (साइबेरियाई सारस), अबुल हसन (चिनार के पेड़ पर गिलहरीया) दौलत, बिशनदास, फार्रुखबेग आदि प्रमुख चित्रकार थे। शाहजहाँ के काल में मुहम्मद नासिर, हुनर, विचित्र आदि कलाकारों ने छवि व दरबारी चित्रण की परम्परा जारी रखी, चित्रों में रंगों की चमक बढ़ गई व अलंकरण में सोने का प्रयोग हुआ। हालांकि चित्रों की उत्कृष्टता में कमी आई। औरंगजेब के समय चित्रकला का पतन प्रारम्भ हुआ हालांकि राजपूताना, कागड़ा आदि क्षेत्रीय शैलियों का विकास हुआ।
SUBJECT QUIZ
प्रश्न :9 20वीं शताब्दी के तीसरे दशक के बाद की वे कौनसी घटनाएँ थी जो विभाजन लिए उतरदायी बनीं।
उतर : 1930 ई. के इलाहाबाद अधिवेशन में इकबाल द्वारा पृथक मुस्लिम देश की मांग, चौधरी रहमत अली द्वारा इसका नामकरण, 1937 ई. के चुनाव, मुक्ति दिवस, भारत छोड़ो आंदोलन में मुस्लिम लीग का विरोध, सीधी कार्यवाही दिवस आदि घटनाओं ने सदियो से स्थापित गंगा-जमना तहजीब को समाप्त कर भारत भूमि का विभाजन करवा दिया।
1930 ई में इलाहाबाद अधिवेशन के अध्यक्षीय भाषण में अल्लामा इकबाल ने मुस्लिमों हेतु अलग देश की मांग कर द्विराष्ट्र सिद्धान्त को पेश किया जिसका कैन्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली द्वारा अपने ‘नाऊ और नेवर’ पर्चे में पाकिस्तान नाम दिया गया।
1937 ई. के प्रान्तीय चुनावों में संयुक्त प्रान्त में गठबन्धन के बावजूद कांग्रेस ने मुस्लिम लीग को सरकार में शामिल नहीं किया तब मुस्लिम लीग ने कांग्रेस शासित राज्यों में मुस्लिमों पर अत्याचार का आरोप लगाकर शरीफ व पीर पुत्र समितियों का गठन किया तथा 1939 ई में कांग्रेसी सरकारों द्वारा इस्तीफे को मुक्ति दिवस (22 दिसम्बर 1939) के रूप में मनाया।
1940 ई. में जिन्ना द्वारा लाहौर अधिवेशन में पाकिस्तान की मांग की गई तथा भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया व संविधान सभा में पर्याप्त सीटे न मिलने पर सीधी कार्यवाही (16 दिसम्बर 1946) दिवस के रूप में साम्प्रदायिक दंगे प्रारम्भ हो गये तथा वितमंत्री लियाकत अली ने अन्तरिम सरकार को अवरूद्ध कर दिया।
प्रश्न :10 “बार-बार की जाने वाली कर्जमाफी कृषि क्षेत्र के व्यय को तो बढ़ाती है परन्तु यह कृषि समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं है।” उक्त कथन की विवेचना कीजिए।
उतर : हाल ही में सरकार द्वारा घोषित व्यापक कृषि ऋण माफी ने इस कदम को विवेचना के दायरे में लाकर खड़ा कर दिया है। जिसमें ऋण माफी के पक्ष एवं विपक्ष दोनों पर विशद स्तर पर विचार किया जाना है।
पक्ष :-
उद्योगपतियों के समान किसानों को भी बैंक ऋण राहत प्राप्त होती है
इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
कृषक आत्महत्याओं में कमी होगी (2016 में 11 हजार कृषकों ने ऋणग्रस्तता के कारण आत्महत्या की )
JAM त्रिक के प्रयोग के कारण यह योजना अधिक सफल होगी।
मनरेगा जैसी ग्रामीण विकास परियोजनाओं से कृषकों को बाहर रखा गया है ऐसे में कृषक ऋण माफी जायज है।
इस एक कार्य से कई आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति होगी।
एक बड़े जनसंख्या वर्ग की क्रय क्षमता बढ़ेगी।
विपक्ष :
अर्थव्यवस्था में क्रेडिट संस्कृति को खत्म कर देगा अतः इसके लिए घातक है।
इसका लाभ वास्तविक लोगों तक नहीं पंहुच पा रहा है।
बैंकों की तनावग्रसत परिसम्पतियों में वृद्धि हुई है।
यह ऋण चुकाने की मनोवृति के लिए घातक है।
इससे मुद्रास्फीति 0.2% बढ़ेगी।
यह गैर उत्पादक सब्सिडी है।
कृषि श्रमिक इससे बाहर ही रहे है।
यह एक लोकलुभावन राजनैतिक उपाय है जो अर्थव्यवस्था की दक्षता को कम करता है।
राजकोषीय विवकेशीलता का अभाव है।
अतः उपर्युक्त दोनों पक्षों के अवलोकन के पश्चात यह कहा जा सकता है कि यह एक अल्पकालिक सुधार है जबकि दीर्घकालिक रूप से उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कृषि निवेश में वृद्धि, यंत्रीकरण में वृद्धि, तकनीकी का समावेशन तथा नवाचारों का प्रयोग जैसे कदमों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
प्रश्न : 11 अर्थव्यवस्था में RBI की भूमिका को समझाइए तथा मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण इसकी भूमिका को किस प्रकार प्रभावित करता है?
उतर : अर्थव्यवस्था में रिजर्व बैंक की भूमिका :-
यह 2 रू. तथा अधिक मूल्य के नोटों को जारी एवं नियमित करता है।
केन्द्र एवं राज्य सरकार दोनों के लिए बैंकर के रूप में कार्य करता है
आरबीआई बैंकों का बैंक है तथा अंतिम ऋणदाता है।
आर.बी.आई. बैंको द्वारा सृजित साख की मात्रा को नियंत्रित करता है। तथा विभिन्न गुणात्मक एवं मात्रात्मक उपायों के माध्यम से साख एवं मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करत है।
लक्ष्यीकरण– मध्यावधिक मुद्रास्फीति को 4% (+2%) रखता है।
आर.बी.आई. विनिमय दर को प्रबंधित करता है तथा विदेशी मुद्रा भण्डारों का संरक्षक है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विदेशी संसथागत निवेश एवं भुगतान संतुलन आदि आंकड़े एकत्रित एवं प्रकाशित करता है।
आर.बी.आई. वाणिज्यिक बैंकों का विनियामक एवं पर्यवेक्षक है तथा सदस्य बैंकों के लिए क्लीयरिंग हाउस का कार्य करता है।
आरबीआई. मुद्रा स्फीति लक्ष्यीकरण को अपनाने के बाद (2016 में उर्जित पटेल समिति की सिफारिश के आधार पर लागू) मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण आर.बी.आई तथा इसकी मौद्रिक नीति का प्राथमिक लक्ष्य बन गया है। अब आरबीआई मुद्रास्फीति के स्तर को लक्षित स्तर [4%(+2%)] पर रखने के लिए उतरदायी है तथा आरबीआई ने मौद्रिक नीति के निर्धारण के लिए पहले वाले बहु संकेतकों (रोजगार, बैंकिंग स्थायित्व आदि) का त्याग कर दिया है।
प्रश्न : 12 “दिवालियापन संहिता NPA की समस्या को हल करने में सहायक होगा।” समझाइये।
उतर : दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 द्वारा स्थापित व्यवस्था के कारण लगभग 4 लाख करोड़ एन.पी.ए. बैंकों/ वितीय लेनदारों के पास लौट आया है जो नई व्यवस्था की प्रभावशीलता को दर्शाता है
हाल ही में आर.बी.आई. ने एस.डी.आर./ एस 4 ए., सी.डी. आर. आदि रिस्ट्रक्चरिंग योजनाओं को समाप्त कर दिवालियापन संहिता को डिफॉल्टर्स से निपटने का प्रमुख उपकरण बनाया है। जो एन.पी.ए. के समाधान में दिवालियापान संहिता के महत्व को रेखांकित करता है। दिवालियापन संहिता विपतिग्रस्त व्यापार से निपटने हेतु एक मजबूत फ्रेमवर्क तथा एक समयबद्ध (अधिकतम 270 दिन) रोडमैप प्रस्तुत करता है।
प्रक्रिया – यदि कोई देनदार/ऋणी ऋण का भुगतान नहीं करता है
इन्सोलवन्सी प्रोफेशनल्स की नियुक्ति
180 दिन में एन.पी.ए. समाधान योजना का सूत्रीकरण अधिकतम 270 दिन
लेनदारों की समिति का अनुमोदन/समर्थन
योजना का क्रियान्वयन उपर्युक्त फ्रेमवर्क के 4 स्तम्भ है – इन्सोलवेन्सी प्रोफेशनल्स
इन्फोरमेशन यूटिलिटी (NeSL)
निर्णयन प्राधिकरण
नेशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल (कम्पनीयों के लिए)
ऋण वसूली अधिकरण (व्यक्तियों के लिए)
हाल ही में इसमें किए गए सुधार
विलफुल डिफाल्टारों की भागीदारी पर प्रतिबन्ध
होम बायर्स को वितीय लेनदारें के रूप में स्वीकृति
ONE LINER QUESTION ANSWER
प्रश्न : 13 राजस्थान में खनिज आधारित उद्योगों का वर्णन कीजिए तथा इन उद्यागा में भविष्यगत विकास हेतु अपने सुझाव दीजिए।
उतर : राजस्थान में विभिन्न प्रकार के खनिजों की उपलब्धता के कारण खनिज आधारित उद्योग मजबूत स्थिति में है। राजस्थान में स्थिति प्रमुख खनिज आधारित उद्योग हैं – जिंक स्मेल्टर, देबारी (उदयपुर), कॉपर स्मेल्टर प्लांट (खेतड़ी) रॉकफास्फेट बेनीफिकेशन प्लांट (झामरकोटड़ा), पर्लोस्पार बेनीफिकेशन प्लांट (माण्डों की पाल, डूंगरपुर), उर्वरक उद्योग (गडेपान, कोटा), बरसिंगसर में लिग्नाइट उत्पादन के लिए नेवेली लिग्नाइट के साथ समझौता किया गया है। इसके अलावा राजस्थान में अनेक मार्बल, ग्रेनाइट व कोटा स्टोन प्रसंस्करण इकाइयां तथा सिरमिक्स व इंसुलेटर इकाइयाँ कार्य कर रही है। राजस्थान बहुत आगे बढ़ सकता है यदि यह अपने खनिज संसाधनों जैसे तांबा, सीसा, जस्ता, रॉक फास्फेट, चुनापत्थर, लिग्नाइट आदि और खनिज ईंधन जैसे- कोयला, तेल एवं प्राकृतिक गैस आदि का व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक तरीके से विकास एवं निष्कर्षण कर ले।
खनिज आधारित उद्योगों के विकास के लिए उपाय :-
वितीय संस्थानों द्वारा सावधि ऋण सहायता दी जानी चाहिए।
उन उद्यमियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो खनन पट्टे दिए जाने पर प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित करना चाहते है।
जब कोटा स्टोन के कचरे का उपयोग औद्योगिक इकाईयों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है तो इसे रॉयल्टी के भुगतान से छूट दी जानी चाहिए।
चीनी मिट्टी एवं कांच उद्योग के तहत इकाइयों के लिए बिक्रीकर प्रोत्साहन एवं आवागन की सुविधा उपलब्ध करवायी गई थी क्योंकि ये कच्चे माल के रूप क्ले, फेल्सपार, सिलिका क्वार्टज का उपयोग करते है जो वर्तमान में बड़े पैमाने पर राज्य से बाहर भेजे
जाते हैं। व्यवसाय व निवेश को आसान बनाने के लिए एकल खिड़की सेवाएं और अन्य सुविधाएं प्रदान करके घरेलु और विदेशी दोनों प्रकार के निजी निवेश को बढ़ावा दिया जाये।
प्रश्न : 14 डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने से क्या लाभ होंगे? हाल ही म डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने हेतु बनाई गई समितियों की अनुशंसाओं को बताते हुए व्याख्या कीजिए।
उत्तर : डिजिटल माध्यम जैसे यूनिफाइड पेमेंट इन्टरफेस, आधार समर्पित भुगतान सेवाएं, ई-वॉलेट, यू. एस.एस.डी., क्रेडिट तथा डेबिट कार्ड आदि के माध्यम से किया जाने वाला भुगतान डिजिटल भुगतान है।
इसके लाभ
सरकार के लिए उपयोगकर्ताओं के लिए
कम नकदी अर्थव्यवस्था आसान तथा सुविधाजनक
उच्च/अधिक कर राजस्व कहीं भी भुगतान की सुविधा
काले धन पर नियंत्रण करों में छूट
जाली/नकली मुद्रा की समस्या नहीं लिखित रिकार्ड
प्रिंटिंग लागत में कमी नकदी रखने की आवश्यकता नहीं
नोटों की कोई हानि नहीं तथा वित्तीय समावेशन छूट्टे रूपयों की समस्या नहीं
सिफारिशें
रतन.पी वटल एन. चन्द्रबाबू नायडू
भुगतान नियमन बोर्ड का गठन * बैंक केश ट्रांजेक्शन कर लगाया जाए
ग्राहकों के संरक्षण, डाटा सुरक्षा * मर्चेट डिस्काउन्ट रेट की समाप्ति
तथा निजता को सुनिश्चित करना
NEFT तथा RTGS का 24×7 * स्मार्ट फोन की खरीद पर रु. 1000 की
क्रियान्वयन/संचालन सब्सिडी
DIPAYAN कोष का निर्माण * * माइक्रो एटीएम, बायोमिट्रिक सेन्सर हेतु कर प्रलोभन
मर्चेट डिस्काउन्ट रेट में कमी * डिजिटल भुगतानों के लिए टेक्स रिफण्ड
प्रश्न : 15 “तीव्र वृद्धि एवं विकास के बावजूद अस्वीकार्य रूप से हमारी जनसंख्या का एक बड़ा भाग लगातार गम्भीर और बहुआयामी वंचन से ग्रस्त है” इस स्थिति के लिए उत्तरदायी कारणों एवं सरकार द्वारा इसके निवारण हेतु उठाये गये कदमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: 7.1% की दशकीय वृद्धि ने भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का एकमात्र उज्ज्वल स्थान/बिन्दु बना दिया है लेकिन अभी भी भूखमारी, बाल-मृत्यु, शिक्षा तथा जीवन स्तर जैसे बहुआयामी वंचन के स्तर संवृद्धि मॉडल की संधारणीयता, प्रभावशीलता तथा समावेशन के संबंध में प्रश्न उठाते है (वैश्विक भूखमारी सूचकांक में भारत 100 वें स्थान पर)
कारण:-सामाजिक पिछड़ापन
रोजगार अवसरों की कमी
अत्यधिक जनसंख्या
स्वच्छ व्यवस्था की कमी
कृषिगत पिछड़ापन
क्रियान्वयन बाधाएं
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
शैक्षिक परिणाम