पीपाजी:-
जन्म :- गागरोण, झालावाड़
वास्तविक नाम :- प्रतापसिंह
भाई :- अचलदास खींची (अचलदास खींची री वचनिका)

  • इस ग्रंथ को शिवदास गाडण ने लिखा।
  • दर्जी सम्प्रदाय के अराध्य देव माने जाते थे।
    पीपाजी गुफा :- टोड़ा (टोंक)
    पीपाजी का मंदिर :- समदड़ी (बाड़मेर)
    पीपाजी का समाधि स्थल :- गागरोण (झालावाड़)
  • ये रामानन्द के शिष्य व निर्गुण संत थे। (किसी भी मूर्ति की पूजा न करना।)

2 धन्ना जाट :- यह भी रामानुज के शिष्य थे।
जन्म :- 1415 ई. में धुबनगांव/धुबन कला, टोंक।
राजस्थान में भक्ति आंदोलन के जनक।

  • ये बनारस जाकर रामानंद के शिष्य बने।
  • इन्होंने सिक्खों के आदिग्रंथ में चार पद लिखें।

3 मीरा बाई :-
जन्म :- कुड़की (पाली)
क्रीड़ास्थली :- मेड़ता (नागौर)
पिता :- रतनसिंह
माता :- कुँवरी बाई
भाई :- जयमल
भतीजा :- वीर कल्ला
बचपन का गुरू :- चम्पा जी।
मीरा का विवाह :- मेवाड़ शासक सांगा के पुत्र भोजराज के साथ हुआ। जिसकी कुछ समय बाद ही मृत्यु हो गयी।

  • मीरा श्री कृष्ण को पति मानकर पूजा करने लगी।
  • विक्रमादित्य + बहन ऊदा ने मीरा को मारने का प्रयत्न किया।
  • मीरा ने दासी सम्प्रदाय की स्थापना की।
    मीरा का गुरु :- काशी का चमार = रेदास।
    रैदास की छतरी :- चित्तौड़गढ़।
    मीराबाई के निर्देशन में रतना खाती ने “नरसी जी रो मायरो” नामक ग्रंथ लिखा।
    मीरा मंदिर :
  • मीरा की पदावलियाँ प्रसिद्ध है।
  • मीरा बाई संग्रहालय – मेड़ता सिटी, नागौर ।
  • चार भुजा मंदिर – मेड़ता
  • कुंभश्याम मंदिर – चित्तौड़गढ़
  • जगत शिरोमणि मंदिर – आमेर
  • उदयसिंह ने मीरा को लाने के लिए सूरदास चम्पावत के नेतृत्व में दल भेजा।
  • मीरा डाकोर (गुजरात) में रणछोड़ जी के मंदिर में श्री कृष्ण की मूर्ति में विलीन हो गई।
  • मेवाड़, मेड़ता, वृंदावन, द्वारिका में मीरा ने अंतिम दिन बिताए।

SUBJECT QUIZ

4 संत लालदास जी :-
जन्म :- मेवात क्षेत्र
धोलीदुब :- अलवर
जाति :- मेव जाति के लकड़हारे
उपदेश :- लाल दास री चेतावनीयाँ नामक ग्रंथ में संरक्षित/संग्रहित है।
प्रमुख स्थान :- नगला-जहाज, भरतपुर
समाधि :- शेरपुर, अलवर

5 संत जम्भोजी :-
जन्म :- 1451 ई.
पीपासर :- नागौर
वास्तविक नाम :- धनराज
उपनाम :- गूंगा गहला/प्रकृति वैज्ञानिक

  • 1485 ई. में समराथल, बीकानेर से 20 +9-29 नियम चलाए।
  • इन नियमों को अपनाने वाले विश्नोई कहलाए।
  • इन्होंने पशु बलि व वृक्ष कांटने पर रोक लगाई।
  • नैतिक शिक्षा पर बल दिया।
  • हिंदू धर्म व मुस्लिम सम्प्रदाय में फैले बाह्य आडम्बरों का विरोध किया।
  • विश्नोई समाज के सर्वाधिक लोग जोधपुर में है।
  • इस सम्प्रदाय में भेड़-बकरी का लालन-पालन नहीं किया जाता है।
  • इस सम्प्रदाय में व्यक्ति के शव को दफनाया जाता है।
    जम्भोजी के उपदेश :- जम्भ सागर में सुरक्षित है।
  • जम्भोजी के उपदेश जिन्हें 120 वाणियाँ कहा जाता है।
  • जम्भोजी के उपदेश पढ़ने वाला गायणी/शब्दी कहलाता है।
    समाधि :- 1526 में मुकाम-तालवा (बीकानेर) में ली।
  • इस सम्प्रदाय द्वारा पेड़-पौधों की रक्षा के लिए जान देने की प्रथा “खड़ाना” कहलाती है।

ONE LINER QUESTION ANSWER

6 संत जसनाथ जी :-
जाति :- जाट
जन्म :- 1482 ई., कतरियासर (बीकानेर)।

  • संत जसनाथ जी ने 36 नियम चलाए जिन्हें अपनाने वाले जसनाथी कहलाये। * ज्ञानमार्गी ने जसनाथी भक्ति सम्प्रदाय की स्थापना की।
  • जसनाथ जी को ज्ञान की प्राप्ति 727 (अश्विन शुक्ल सप्तमी) को हुई।
  • जसनाथी सम्प्रदाय द्वारा अग्नि नृत्य किया जाता है।
    कलाकार :- सिद्ध
  • इनके उपदेश सिंभूधड़ा व कोडा ग्रंथों में मिलते है।
  • जसनाथी सम्प्रदाय के प्रमुख पवित्र स्थल :-
    1 बमल (बीकानेर)
    2 लिखमादेसर (बीकानेर)
    3 पुरनासर (बीकानेर)
    4 मालासर (बीकानेर)
    5 पांचला (नागौर)

7 परमहंस :- जसनाथी सम्प्रदाय के वे अनुयायी, जो इस संसार से विरक्त हो जाते है, परमहंस कहलाते है।

  • इसमें मोर पंख व जाल वृक्ष को पवित्र माना जाता है।
  • इस सम्प्रदाय के लोग काली ऊन का धागा गले में पहनते है। व भगवा वस्त्र धारण करते है।

8 दादू दयाल जी :-
जन्म :- 1544, अहमदाबाद।

  • इन्हें राजस्थान का कबीर कहा जाता है।
  • इन्होंने दादू वाणी व दादू दुहा नामक ग्रंथ लिखे ।
    प्रमुख कार्यस्थली :- नरैना/नारायणा, जयपुर
    सत्संग स्थल :- अलख दरीबा
    अभिवादन :- सत्यराम जी
  • इन्होंने दादू सम्प्रदाय चलाया। जिसके 4 भाग थे।
    1 नागा
    2 खालसा
    3 उतरोदय/स्थानधारी
    4 खाकी
  • नरेना, मरेना, मावठा झील के पास दादु दयाल जी ने तपस्या की।
  • इस संप्रदाय में व्यक्ति के शव को पशु पक्षियों के भक्षण के लिए जंगल में छोड़ते हैं।
  • इन्होंने फतेहपुर सीकरी जाकर अकबर के इबादत खाने में भाग लिया। शिष्य :- 152
    प्रधान शिष्य :- 52 (बावन स्तम्भ)
  • ये भगवा वस्त्र धारण करते थे।
  • इन्होंने निर्गुण ब्रह्म की उपासना का उपदेश दिया।
    दादूदयाल के शिष्य :-
    (i) सुन्दर दास :- दूसरा शंकराचार्य ।
    प्रमुख पीठ :- गेटोलाव (दौसा)
    (ii) रज्जब :-
    प्रमुख पीठ :- सांगानेर (जयपुर)
    ग्रंथ :- रज्जब वाणी, सर्वगी।
  • यह जीवन भर दूल्हे के वेष में रहा।
    (iii) बालिन्द जी :- इनका जन्म पठान कूल में हुआ।
    ग्रंथ :- आरिलो।
    (iv) संत गरीबदास जी :- ये दादूदयाल जी के पुत्र थे। दादूदयाल जी ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाया।

NOTES

9 संत भीक्षु भीखण :- सिरियारी पाली। जैन धर्म – तेरापंथी सम्प्रदाय चलाया। यह संप्रदाय जैन धर्म के तीर्थकरों को नहीं मानता।
10 संतदास जी :- गुदड़ सम्प्रदाय।
प्रमुख स्थल :- दातंडा, भीलवाड़ा।
11 संत हरिदास जी :- निरंजनी सम्प्रदाय चलाया।
अभिवादन :- अलख निरंजन।

12 संत लालगिरि :-
जन्म :- सुलखिया, चूरू।
प्रमुख स्थल :- बीकानेर ।
समाधि स्थल :- गलता, जयपुर। इन्होंने अलखिया सम्प्रदाय चलाया।
ग्रंथ :- अलख स्तूति प्रकाश ।
13 संत नवल जी :-
जन्म :- हरसोलाव, नागौर।
प्रमुख स्थल :- जोधपुर। इन्होंने नवल सम्प्रदाय चलाया।
14 संत हरिदास निरंजन :-
जन्म :- कापड़ोद, डीडवाना (नागौर)।

  • इन्होंने निरंजनी संप्रदाय चलाया।
    ग्रंथ :- मंत्रराज प्रकाश
    अभिवादन :- अलख निरंजन।

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