1 कैलादेवी का मेला :-
- मंदिर :- त्रिकुट पहाड़ी, करौली। मंदिर का निर्माण करौली शासक गोपालदास ने करवाया।
- यह करौली के यदुवंशी राजवंश की कुलदेवी है।
- इनका मेला चैत्र शुक्ल सप्तमी-अष्टमी को लगता है जिसे लक्खी मेला कहा जाता है।
- माता को हनुमान जी की माता अंजनी का अवतार व विष्णु की महामाया का रूप माना जाता है।
- मंदिर के सामने बोहरा भक्त की छतरी है।
गीत :- लांगूरिया।
नृत्य :- लांगुरिया व घुणक्कड़। - लांगुरिया शब्द हनुमान जी के लिए उपयोग में लिया जाता है।
2 शीतला माता का मेला :-
मंदिर :- शील की डूंगरी, चाकसू (जयपुर)।
मेला :- शीतलाष्टमी को जो चैत्र कृष्ण अष्टमी को आती है।
3 गणगौर का मेला (जयपुर) :-
- यह मेला चैत्र शुक्ल तृतीया को लगता है।
- गणगौर की मूर्ति बनाने की कला बस्सी, चित्तौड़गढ़ की प्रसिद्ध है।
4 तीज का मेला :-
- छोटी तीज का मेला जयपुर का प्रसिद्ध है जो श्रावण शुक्ल तृतीया को आता है।
- बड़ी तीज का मेला बूंदी का प्रसिद्ध है जो भाद्रपद कृष्ण तृतीया को आता है।
- बड़ी तीज/सातुड़ी/कजली/बूढी तीज।
5 दशहरे का मेला :-
- यह मेला कोटा, जोधपुर का प्रसिद्ध है।
- यह मेला अश्विन शुक्ल दशमी को आता है।
- मंडोर (जोधपुर) के ओझा ब्राह्मण इस पर्व को शौक पर्व के रूप में बनाते है। * रावण की चंवरी मंडोर (जोधपुर) में स्थित है।
6 वेणेश्वर का मेला :-
- यह नवातपुरा गांव, तह.-आसपुर, जिला-डूंगरपुर में लगता है।
- यह मेला माघ मास की पूर्णिमा को लगता है।
- इसे भीलों का कुम्भ, आदिवासियों का कुम्भ व दक्षिणी राजस्थान का कुम्भ कहा जाता है।
- यहाँ सोम-माही-जाखम तीनों नदियाँ त्रिवेणी बनाती है।
- भील इसी मेले में अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन करते है।
- भील इसी मेले में अपना जीवनसाथी चुनते है।
- यहाँ खण्डित शिवलिंग की पूजा की जाती है।
- यहाँ मावजी महाराज का मंदिर स्थित है।
7 सीताबाड़ी मेला (केलवाड़ा, बारां) :-
- यह मेला वैशाख व ज्येष्ठ की अमावस्या को लगता है।
- इसे सहरिया जनजाति का कुम्भ माना जाता है।
- सहरिया जनजाति इसी मेले में अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन करती है।
- सहरिया जनजाति इसी मेले में अपना जीवनसाथी चुनती है।
- यहाँ लक्ष्मण कुण्ड, वाल्मिकि कुण्ड, लव-कुश कुण्ड, सीता कुण्ड आदि स्थित है।
8 पुष्कर मेला (पुष्कर, अजमेर) :-
- यह मेला कार्तिक मास की पूर्णिमा को लगता है।
- पुष्कर सरोवर राजस्थान की सबसे प्राचीन, सबसे पवित्र व सबसे प्रदूषित झील है।
- यहाँ सफाई कार्य कनाड़ा के सहयोग से संचालित हुआ।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस झील का निर्माण ब्रह्माजी/पुष्करणा ब्राह्मणों ने किया है।
- पुष्कर झील ज्वालामुखी निर्मित झील है।
- पुष्कर सरोवर किनारे 52 घाट है।
- जॉर्ज पंचम की पत्नी मेडम मेरी की याद में जनाना घाट का नाम मेरी जनाना घाट कर दिया गया। इसे ही गांधी घाट कहा जाता है।
- यहाँ ब्रह्माजी का मंदिर स्थित है जो विश्व का एकमात्र प्राचीन मंदिर है।
- यहाँ सावित्री, गायत्री के मंदिर, रंगनाथजी का मंदिर स्थित है।
- बुढ़ा पुष्कर भी यहीं स्थित है।
- ब्रह्माजी के अन्य मंदिर :- मचकुण्ड (धौलपुर), छिंछ देवी (बांसवाड़ा), आसोतरा (बाड़मेर), हाथल गाँव (सिरोही)।
9 ऋषभदेवजी का मेला (धुलेव गांव, उदयपुर) :-
- यह मेला चैत्र कृष्ण अष्टमी को आता है।
- इस मेले में भील व जैन समुदाय के लोग विशेष भाग लेते है।
- ऋषभदेव/आदिनाथ/केसरियानाथ/कालाजी।
10 डिग्गी कल्याण जी का मेला (डिग्गी, टोंक) :-
- यह मेला श्रावण शुक्ल एकादशी को आता है।
- डिग्गी कल्याण जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
- इन्हें कुष्ठरोग निवारक देवता के रूप में पूजा जाता है।
11 भृतहरि का मेला (सरिस्का, अलवर) :-
- यह मेला भाद्रपद शुक्ल सप्तमी व अष्टमी को लगता है।
- भृतहरि की गुफा पुष्कर में स्थित है।
12 सांवरिया सेठजी का मेला (मण्डफिया गांव, चित्तौड़गढ़) :- यह मेला भाद्रपद शुक्ल एकादशी को आता है।
13 हनुमान मेला :- मेहन्दीपुर बालाजी (दौसा) :- यहाँ भूत-प्रेतों का इलाज किया जाता है। सालासर बालाजी (चूरू):- हनुमान मेला हनुमान जयन्ती पर लगता है जो चैत्र मास की पूर्णिमा | को आती है।
14 करवा चौथ का मेला (चौथ का बरवाड़ा, सवाई माधोपुर) :-
- यह मेला कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को लगता है।
- इस दिन महिलायें अपने पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है।
15 गणेशजी का मेला (रणथम्भौर, सवाई माधोपुर) :-
- यह मेला गणेश चतुर्थी को लगता है जो भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को आती है।
- इस दिन गुरु-शिष्य पूजा की परम्परा है।
- लेटे गणेश/त्रिनेत्र गणेश/रणंतभंवर का लाडला – रणथम्भौर
- खड़े गणेश – कोटा
- बाजणा गणेश – सिरोही
- नाचणा गणेश – अलवर
- सिंह सवार गणेश/हेरम्ब गणपति – बीकोनर
- गढ़ गणेश, मोती डूंगरी गणेश – जयपुर