1. Paging –

ऑपरेटिंग सिस्टम में paging एक मेमोरी मैनेजमेंट स्कीम है, इसमें मेमोरी को fix size के पेजों में विभाजित किया जाता है.

paging में उस डेटा का प्रयोग किया जाता है जो main memory में नही होता है लेकिन वह डेटा pages के रूप में virtual memory में होता है.

paging के द्वारा एक कंप्यूटर डेटा को main memory में प्रयोग करने के लिए secondary memory जैसे:-hard disk से स्टोर तथा retrieve करता है.

जब एक प्रोग्राम को पेज की आवश्यकता होती है तो पेज main memory में उपलब्ध होता है. (secondary memory से पेज main memory में store हो जाते है.)

paging का प्रयोग डेटा को तेज गति से access करने के लिए किया जाता है.

नीचे दिए गये चित्र के द्वारा हम main memory में पेज चेक होने के flow को समझेंगे.
जहाँ p एक page नंबर है,
D एक offset एड्रेस है,
F एक frame एड्रेस है.

सबसे पहले सी.पी.यू. लॉजिकल एड्रेस generate करता है जिसके दो भाग होते है; पहला भाग page number होता है और दूसरा भाग offset होता है.
page number का इस्तेमाल page table में index की तरह किया जाता है जो कि प्रत्येक पेज के base एड्रेस को contain किये रहता है . page number को इंडेक्स की तरह इस्तेमाल करके हम frame एड्रेस को खोजते है.
जब frame एड्रेस मिल जाता है तो offset को frame एड्रेस में add कर दिया जाता है और अंत में physical एड्रेस को generate कर लिया जाता है. इस physical एड्रेस को सी.पी.यू. को वापस execution के लिए भेज दिया जाता है.

2. segmentation –

segmentation भी एक मेमोरी मैनेजमेंट स्कीम है जिसमें मेमोरी को different size के segments में विभाजित किया जाता है.

आसन शब्दों में कहें तो,”segments के समूह को segmentation कहते है.” तथा segments को लॉजिकल यूनिट कहा जाता है जैसे;- function, program, variables, array आदि.

segmentation में डेटा तथा प्रोग्राम लॉजिकल एड्रेस स्पेस में विभाजित हो जाते है जिससे मेमोरी को हम protect तथा share कर सकते है.

प्रत्येक segments की सूचना एक table में स्टोर होती है जिसे global descriptor table(GDT) कहते है.

जो segmentation का मेमोरी मैनेजमेंट होता है वह paging की तरह ही समान होता है. परन्तु segmentation में segments का आकार fix नही होता है जबकि paging में pages का आकार fix होता है.


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