- “भूपटल पर प्राकृतिक रूप से उपलब्ध किसी निश्चित रासायनिक संरचना वाले अजैव पदार्थों को खनिज कहा जाता है।
- राजस्थान खनिजों की दृष्टि से झारखण्ड के बाद दूसरा राज्य है।
- राजस्थान को खनिजों का अजायबघर कहा जाता है।
खनिजों के प्रकार-
1 धात्विक खनिज-
(a) लौह अंश धातु- लौह अयस्क, मैंगनीज, क्रोमियम, कोबाल्ट, टंगस्टन, टाइटेनियम, निकिल ।
(b) अलौह खनिज- तांबा, सीसा, जस्ता, बॉक्साइड, टिन, मैग्नीशियम
2 अधात्विक खनिज- डोलामाइट, चूना पत्थर, अभ्रक, जिप्सम, पाइराइट्स नमक, फॉस्फेट, एस्बेस्ट्रॉस, हीरा, घीया पत्थर/सेलघड़ी
3 ईंधन खनिज- कोयला, पैट्रोलियम पदार्थ, प्राकृतिक गैस, आणविक
खनिज (यूरेनियम, बेरिलियम, थोरियम, ग्रेफाइट, एन्टीमनी/सुरक्षा। - प्रथम स्थान पर खनिज- खड़िया मिट्टी/हरसौंठ/जिप्सम, घीया पत्थर, एस्बेस्ट्रॉस, स्टेटाइट, फेल्सपार ।
- राजस्थान जास्पर व वोलेस्टोनाइट का एकमात्र उत्पादक राज्य है। निरन्तर कमी वाले खनिज- अभ्रक, बैराइट्स, पायरोफिलायट, मैग्नेसाइट, तामडा।
- नगण्य खनिज- बैराइट्स, चीनी भृत्तिका, वर्मी कूलेट।
1 धात्विक खनिज
1 लौह अयस्क- भण्डार की दृष्टि से निर्धन राज्य है। - राजस्थान में प्राप्त खनिज किस्म (i) हेमेटाइट (ii) लिमोनाइट (iii) मैग्नेटाइट (iv) सिडेराइट
- सर्वाधिक हेमेटाइट श्रेणी का प्राप्त होता है।
- क्षेत्र- मोरीजा बनोल क्षेत्र, चौमू (जयपुर)-हेमेटाइट श्रेणी का अयस्क
- डाबला- सिंघाना-नीम का क्षेत्र (झुंझुनूं ,सीकर)- टेओन्टा व काली पहाड़ी के समीप।
- नाथरा की पाल, थूर- हुन्डेर क्षेत्र (उदयपुर)
- अन्य क्षेत्र- लोहापुरा (बूंदी), इन्द्रगढ़ (भीलवाड़ा), कमलपुर व लामपा (बांसवाड़ा), तलवारा, खामरिया, लोहारिया (डूंगरपुर)
2 मैग्नीज - किस्म- पायरोल्युराइट, ब्राउनाइट, साइलोमिलेन (बांसवाड़ा में)
- क्षेत्र- उदयपुर व अलवर में क्वार्टज की दराओं में प्राप्त है।
- सर्वाधिक भंडार बांसवाड़ा में है।
- लीलवानी नराड़िया सिवोनिया, कालाखूट, कौसला, सागवान, तलवाड़ा (बांसवाड़ा।)
- नेगडिया सकतपुरा, रामौसन व सवाईमाधोपुर मे-रेवासा।
- अन्य क्षेत्र- इटावा, तिम्ममौरी, खेडिया, बोहरिया, सानालकाई।
3 टंगस्टन- बुल्फ्रेमाइट अयस्क से प्राप्त होता है। - डेगाना भाकरी (नागौर) सम्पूर्ण देश की एकमात्र खान।
- यह लौहे व मैंग्नीज की टंगस्टेट, ग्रेफाइट और फाइलाइट की शिलाओं से मिलती है।
- अन्य क्षेत्र- (सेवरियां, पिपलियां, बीजाथल, अजमेर व नागौर की सीमा पर), सिरोही व पाली के कुछ क्षेत्र।
- सिरोही जिले में वाल्टा गांव में ‘राजस्थान राज्य टंगस्टन विकास निगम द्वारा खनिज कार्य हो रहा है।
- उपयोग- विद्युत के साज समान निर्माण, स्टील के निर्माण व रक्षा विभाग में सप्लाई।
4 सीसा व जस्ता सांदू- यह मिश्रित धातु है जो प्रथम स्थान पर है एकमात्र उत्पादक राज्य है। यह मिश्रित अयस्क गेलेना कहलाता है - दो क्षेत्रों में सीमित- उत्तरी पूर्वी व दक्षिणी पूर्वी ।
(i) दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र- मोचिया मगरा पहाड़ी, जावर (उदयपुर)।
राजपुरा-दरीबा (उदयपुर व राजसमंद की सीमा पर) तथा ऋषभदेव व देबारी (उदयपुर), घुघरा व माण्डो (डूंगरपुर), बारडालिया (बांसवाड़ा) आगूंचा (भीलवाड़ा) - समुचित प्रयोग हेतु उदयपुर व देबारी नामक स्थान पर भारत सरकार का जस्ता शोधन संयंत्र अवस्थित है।
- हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड (1966)- भारत सरकार द्वारा उदयपुर देबारी में स्थापित किया गया।
- अत्युत्तम उपयोग हेतु हि.जि.लि. ने रामपुरा, आंगूचा (भीलवाड़ा) में तथा चित्तौड़गढ़ के चन्देरिया में सुपर जिंकस्मेल्टर संयंत्र भारत सरकार, ब्रिटेन की सहायता से स्थापित किया जो एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र है।
(ii) उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र- चौथ का बरवाड़ा (सवाई माधोपुर), गुढ़ा किशोरी दास (अलवर) - उपयोग- जस्ता गलाने पर उपोत्पत्ति के रूप में सुपर फॉस्फेट एसिड व कैडमियम प्राप्त होते हैं जो सुपर फॉस्फेट के उत्पादन में प्रयुक्त होता है।
- चांदी, सीसे, जस्ते के साथ ही निकलती है। इसका मुख्य अयस्क अग्रेटाइट है। चांदी अयस्क का शोधन टुंडु (बिहार) में होता है
5 तांबा- अलौह धातु का महत्वपूर्ण खनिज है। - तांबा को अलौह धातु सिद्ध करने के लिए खान व भूविज्ञान द्वारा सिद्रंम कार्य करवाया गया।
- यह बहुत ही लचीला व बिजली का उत्तम संचालक है।
- आग्नेय, अवसादी व कायान्तरित चट्टाने में प्राप्त होता है।
- क्षेत्र- खेतड़ी, सिंघाना क्षेत्र (झुंझुनू), खोदरीबा (अलवर), देलवाड़ा के रावली व अंजली क्षेत्र (उदयपुर), बीदासर (चूरू), श्रीनगर-हाथी बारा (अजमेर)।
- जहाजपुर (भीलवाड़ा) में चमकीले पत्थर में गंधक की मात्रा अधिक है।
- उपयोग- तांबे को गलाने पर उत्पादक के रूप में सल्फ्यूरिक एसिड प्राप्त होता है, जो सुपर फॉस्फेट के निर्माण में प्रयुक्त होता है।
6 बेरिलियम- उत्तम श्रेणी का अयस्क है। - बिरल नामक खनिज से प्राप्त होता है।
- अणु शक्ति में प्रयोग होने के कारण महत्वपूर्ण है।
- इस धातु को खरीदने का एकाधिकार भारत सरकार को ही है।
- राजस्थान व बिहार इसका नियमित उत्पादक क्षेत्र है।
- क्षेत्र- उदयपुर व जयपुर जिलों में अधिक जमाव क्षेत्र है।
- अन्य- भीलवाड़ा, टोंक, सीकर, अलवर जिलों में भी पाया जाता है।
7 सोना- भूगर्भीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा किये गये सर्वेक्षण में बांसवाड़ा के जगपुरा-आनन्दपुर-भुकिया क्षेत्र में स्वर्ण भण्डार पाया गया है। यहां खनन प्रारंभ नहीं हुआ है। - ऑस्ट्रेलियाई कम्पनी इन्डो गोल्ड ने फरवरी 2007 में खोज की।
- सिरोही के बसन्तगढ़, पीतेला, गोलिया, अजारी आदि क्षेत्रों में अलौह धातु के साथ स्वर्ण अयस्क की उपस्थिति के संकेत मिले हैं।
II अधात्विक खनिज
1 एस्वेस्टॉस-
- दो रूपों में- क्राइसोलाइट व एम्फीबाल (राजस्थान में घटिया श्रेणी का)
- राजस्थान में 96 प्रतिशत खनन किया जाता है।
- यह लचीले तन्तुओं में अलग किया जाता है।
- क्षेत्र- ऋषभदेव, खेरवाड़ा सर्वाधिक (उदयपुर), डूंगरपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, अलवर, पाली, राजसमंद
- उपयोग- सीमेन्ट की चादरें, पाइप, भवन निर्माण। बॉयलर्स व ताप निरोधक वस्तुएँ।
2 फेल्सपार- यह विस्तृत नाम अल्काली एल्युमिना सिलिकेट खनिजों के वर्ग के लिए प्रयुक्त होता है। - व्यापारिक फेल्सपार पोटाशस्पर व सोडास्पर का मिश्रण है।
- देश का राजस्थान में 61 प्रतिशत खनन।
- इस खनिज की प्राप्ति अभ्रक खदानों से होती है।
- चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने में प्रयुक्त होता है।
- इस खनिज की मुख्य खानें जयपुर में है।
- सर्वाधिक मकरेडा (अजमेर) में राजस्थान का 96 प्रतिशत फेल्सपार प्राप्त होता है।
- अन्य क्षेत्र- टोंक, सीकर, बांसवाड़ा, चाओन्दिया (पाली), प्रतापगढ़ आदि।
3 कांच बालूका– - उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान का द्वितीय स्थान।
- राज्य का 65 प्रतिशत जयपुर व 31 प्रतिशत बूंदी में खनन होता है।
- धोलपुर के कांच उद्योग में प्रयोग होता है तथा शेष यहां से उत्तरप्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र को निर्यात होता है।
- क्षेत्र- बारोदिया (बूंदी), झर, सामोद (जयपुर), सवाई माधोपुर (एलनपुर, नारायणपुर, नारोली, टटवारा, सापोतरा), भरतपुर (जग-जीवनपुरा व हथौडी), शिव (बाड़मेर), कोटा (कुंडी)
4 चीनी मृत्तिका– - चाइना क्ले भी कहते हैं।
- सब मिट्टियों में मूल्यावान है।
- सिरेमिक सिलिकेट उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है।
- नीम का थाना में चीनी मिट्टी की धुलाई का कारखाना है।
- सर्वाधिक सीकर के बूचारा व टोराडा तथा उदयपुर के खारा बाश्यिा का गुढ़ा में काफी बड़े भण्डार है।
- उपयोग- रबर उद्योग, डिटरजेंट्स, पेन्ट्स, सीमेन्ट, टैक्सटाईल व चीनी बर्तनों के निर्माण में।
- क्षेत्र- वसुव रायसीना (सवाई माधोपुर), बसंवागेट (अलवर), पाल (जालौर)
5 अग्नि अवरोधक मिट्टियां/फायर क्ले– - इनमें पोटाश अथवा सोडा का अंश बहुत कम होता है।
- उपयोग-मिट्टी के बर्तनों, बिजली के पोर्सलीन पदार्थों, काश्म पदार्थों (स्टोन वेयर) तथा अग्नि अवरोधक पदार्थों के निर्माण में।
- क्षेत्र- कोलायत (बीकानेर), मंगरूप व बनिया खेडा (भीलवाड़ा), (गढ़ कोटरी रानेरी), सरल (चित्तौड़गढ़)
- यह कोयले की नसों के नीचे परतों में (अवसादी शैलों में) प्राप्त होती है।
6 डोलोमाइट- - राजस्थान का 48% जयपुर में 23%, अलवर में 15%, सीकर में।
- इसमें कैल्शियम व मैग्निशियम का दुहरा कार्बोनेट होता है।
- उपयोग- चूना बनाने में, चिप्स, पाउडर बनाने में।
- मटकेश्वर (राजसमन्द) में फॉस्फेट युक्त डोलोमाइट प्राप्त होता है जिसमें फॉस्फेट की मात्रा 16.93 से 30.40% है।
- अजमेर, जयपुर, अलवर, जोधपुर, सीकर जिलों में उच्च मैग्नेसिया वाला चूना पत्थर खोदा जा रहा है।
- बांसवाड़ा के गैनोर व मेनिज क्षेत्र में भंडार मिले है।
7 कलेस्टोनाईट- - एकाधिकार प्राप्त खनिज है। (100%)
- उपयोग- पेंट, कागज, सिरेमिक उद्योग हेतु प्रयुक्त।
- क्षेत्र- उदयपुर (बड़ा उपरला खेड़ा सायरा), डूंगरपुर (चारिया व बोकाडिया पहाड़), अजमेर (रूपनगर-पीसांगन क्षेत्र), सिरोही (खिल्ला व बेल्का ) क्षेत्र।
8 बॉल क्ले अथवा बीकानेर क्ले- - उपयोग- टाइल्स, सैनेट्रीवीयर्स, स्पार्क प्लग, के निर्माण में प्रयुक्त
- क्षेत्र- कोलायत (बीकानेर), जैसलमेर (देवी, कोट, किता, भंडा) बाड़मेर (भोपा परमेत की ढाणी), पाली (लितरिया-खराडी) व नागौर।
9 क्वार्ट्स- - उपयोग- सिरेमिक उद्योग व इलेक्ट्रॉनिक यंत्र बनाने वाले उद्योगों में प्रयुक्त। * क्षेत्र- अजमेर, पाली, टोंक
10 मुल्तानी मिट्टी- - सर्वाधिक राजस्थान में ही प्राप्त होती है।
- क्षेत्र- बाड़मेर।
- उपयोग- सौन्दर्य प्रयोग न नहाने हेतु प्रयुक्त।
III इलेक्ट्रिॉनिक व आणविक खनिज
1 अभ्रक- (अधात्विक खनिज)
- आग्नेय और कायान्तरित चट्टानों में सफेद या काले अभ्रक के रूप में पाया जाता है।
- सफेद अभ्रक को रूबी व हल्के गुलाबी अभ्रक को बायोटॉइट अभ्रक कहते हैं।
- अभ्रक के बचे चूरे से चादर बनाने का कार्य ‘माइकेनाइट उद्योग’ कहा जाता है।
- देश के कुल उत्पादन का 25% खनन राज्य में होता है
- अभ्रक ईंट निर्माण उद्योग भीलवाड़ा में केन्द्रित है।
- निर्यात होने वाला अभ्रक- दरातीनुमा काला अभ्रक प्रायः सभी अभ्रक बिहार को निर्यात किया जाता है।
- राजस्थान में अभ्रक पेटी उत्तर-पूर्व से दक्षिणी पश्चिम में फैली हुई है।
(A) उत्तर-पूर्वी पेटी- टोंक व जयपुर जिलों में। - टोंक की खानें- बरता, मानखण्ड, शंकरवाडा, बारवोला, मिराऊ, बारोनी, पालरी
- जयपुर की खानें- बंजारी व लक्ष्मी।
(B) दक्षिण-पश्चिम पेटी- यह अभ्रक खनन की मुख्य पेटी है। - मुख्य स्रोत- भीलवाड़ा व उदयपुर जिलों में।
- भीलवाड़ा की खानें- नाथ की नेरी, तूनका, सिंदिरियास, चापरी, रतनगामा, भानकिया, धोगास, गोरखन, बेमाली, कोचरिया, गोकलपुरा, धावमण्ड
- उदयपुर की खानें- चम्पागुण धोलमेतरा व गालवा।
- उपयोग- आधुनिक विद्युत संबंधी उद्योगों के लिए अपरिहार्य पदार्थ है।
2 यूरेनियम - यह अणुशक्ति संबंधी खनिज है।
- अयस्क- पैगमेटाइट्स, मोनोजाइट, चैरेलाइट।
- क्षेत्र- इसकी खानें डूंगरपुर, बांसवाड़ा व किशनगढ़ में है।
- नवीन भण्डार- रोहिल क्षेत्र (सीकर), जहाजपुर (भीलवाड़ा) से हिडौली बूंदी होकर टोंक (देवली) तक की घुमावदार स्लेट स्टोन की पहाड़ियां।
- ऊमरा (उदयपुर) में सर्वाधिक प्राप्त होता है।
- नवीन भण्डारों जहाजपुर तहसील कुराड़ियां गांव की पहाड़ियों में सर्वाधिक भण्डार मिले हैं।
बहुमूल्य पत्थर
1 पन्ना - एकाधिकार प्राप्त खनिज है। विरल की हरी किस्म है।
- यह मखमल के समान हरे रंग का रत्न हरी अग्नि कहलाता है।
- राजस्थान में सर्वप्रथम 1943 में इसका भण्डार काला गुमान (वर्तमान राजसमन्द) (उदयपुर) में मिला।
- ब्रिटेन की कम्पनी माइन्स मैनेजमेंट लिमिटेड ने अजमेर से नाथद्वारा तक पन्ने की पट्टी को खोजा है। यहां उत्तम श्रेणी (फाइनग्रेड श्रेणी) का पन्ना है।
- उदयपुर व अजमेर जिले में प्रमुख खाने हैं।
- रासायनिक तौर पर बेरिलियम और एल्यूमिनियम का एक जटिल मिश्रण है।
- यह भण्डार बायोटाइट, शिस्ट, एक्टीनोलाइट शिस्ट व टैल्कशिस्ट आदि शिलाओं के सहचर्य में मिलते हैं।
- लगभग सभी पन्ना उदयपुर (देवगढ़ टिक्की) से राजसमंद (कांकरोली) तक एक सकड़ी पट्टी में फैली है।
- अतिरिक्त क्षेत्र- गढ़बोर, ढबकुसिया, गांवगुढ़ा (राजसमंद), राजगढ़ (अजमेर), धोना आदि में पाया जाता है।
2 तामड़ा गार्नेट- तामड़ा उत्पादन में एकाधिपत्य है। - इसे रक्तमणि भी कहा जाता है।
- यह लोहा व एल्युमिनियम का मिश्रण होता है।
- राजमहल (टोंक) व सरवाड (अजमेर) का तामड़ा विश्व प्रसिद्ध है।
- गार्नेट- Gem Variety राजस्थान में ही उपलब्ध है। टोंक अजमेर भीलवाड़ा।
- हीरे- चित्तौड़गढ़ के केसरपुरा में नये भण्डार।
- उत्पादन क्षेत्र- अजमेर, टोंक, भीलवाड़ा, दादिया एव सीकर जिलों में।
- अतिरिक्त सरवाड व खरखरी (अजमेर), राजमहल, गोवरी, कल्याणपुरा व जनकपुरा (कमलपुरा). दादिया, बलियाखेड़ा (भीलवाड़ा), महला व बागेश्वर (सीकर)।
रासायनिक खनिज
1 नमक- राजस्थान में सांभर, डीडवाना, पचपदरा, डेगाना प्रमुख झीले है।
- राजस्थान की खारी भूमि और झीलों में नमक की उत्पति के बारे में हॉलैण्ड व क्राइस्ट का विचार है कि अरबसागर से आने वाली मानसून पवनें ग्रीष्म ऋतु में राजस्थान में चलती रहती है।
- कच्छ की खाड़ी से नमक के कण उड़कर राजस्थान के आते है। इन हवाओं का वेग व चाल धीमी होने के कारण नमक के कण गिर जाते हैं तथा इस भाग में बहने वाली नदियों, मेंढ़ा, रूपनगढ़, खारी और खण्डेला के द्वारा बहाकर सांभर झील में एकत्रित हो जाते हैं।
- सांभर झील में देश का 87% नमक होता है।
- राजस्थान का नमक उत्पादन में चतुर्थ स्थान है। (गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु)।
- सांभर झील में नमक की मात्रा 4 मीटर तक 5% के हिसाब से है।
- मार्च-अप्रैल में जल के सूख जाने पर ऊपर नमक जम जाता है
- नमक सोडियम और क्लोरीन गैस का मिश्रण होता है।
- क्राइस्ट के अनुसार इस झील में 5 करोड़ टन नमक की मात्रा है।
- पचपदरा में कुए बनाकर नमक बनाया जाता है।
- डीडवाना में सोडियम सल्फेट प्राप्त किया जाता है।
- सांभर में नमक बनाने का कार्य हिन्दुस्तान नमक कंपनी (केन्द्र सरकार) द्वारा तथा पंचपदरा, डीडवाना में राजस्थान सरकार द्वारा किया जाता है।
2 बेराइट्स - उत्पादन की दृष्टि से उदयपुर (जगतपुरा) जिला प्रथम है।
- व्यापारिक उत्पादन- उदयपुर, अलवर व भरतपुर तक सीमित है।
- अलवर (1948) में खनिज आधारित उद्योग- मैसर्स बेरियल फैक्ट्री, बोरियम कार्बोनेट और दूसरे रसायन बनाने की भारत में सबसे पहली फैक्ट्री थी।
- अजमेर, बीकानेर, सीकर जिलों में बैराइट्स खनन अनार्थिक होगा इसलिए उनमें नहीं निकाला जा रहा है।
- उपयोग- तेल के कुए खोदने, रंग रोदन उद्योग, कागज उद्योग, बलीचिंग पाउडर बनाने में हेतु प्रयुक्त।
- अन्य क्षेत्र- वैर (भरतपुर), ऊमर (बूंदी), खडगविनीपुर (सीकर)।
- चित्तौड़गढ़ में रावतभाटा-ज्वारकला में विध्याई तलछट में बैराइट्स भण्डार मिले हैं।
3 चूने का पत्थर- - सबसे महत्त्वपूर्ण इमारती पत्थर है जो अरावली, रायलो, अजायबगढ़ विंध्यन तथा चतुर्थकीय आदि भूवैज्ञानिक कालों के हैं।
- अजबगढ़ श्रेणी के चूना पत्थर जयपुर व सिरोही में चूना बनाने में प्रयोग होता है।
- विंध्यन काल का चूना पत्थर सोजत (पाली), बिलाड़ा (जोधपुर),गोटन मूंडवा (नागौर) आदि स्थानों में चूने के निर्माण में प्रयोग होता है विंध्यन काल का चूना पत्थर रामगंज मंडी मोडक व सुकेल में खोद कर निकाले जा रहे हैं।
- चूने के पत्थर का उपयोग आधुनिक समय में पोर्टलैण्ड सीमेंट के रूप में होता है। सवाई माधोपुर, इन्दरगढ़ क्षेत्र (लाखेरी), उदयपुर, ब्यावर, चित्तौड़गढ़ सर्वाधिक, निम्बाहेड़ा में स्थापित सीमेंट कारखाने इसका उपयोग कर रहे हैं। अन्य उपयोग- इस्पात उद्योग, चीनी परिशोधन।
- अन्य क्षेत्र- थानागाजी व राजगढ़ (अलवर), जैसलमेर।
- जैसलमेर जिले में स्टील ग्रेड चूना पत्थर के भण्डार पूर्व में सोनू क्षेत्र में मिले भण्डारों से भी उत्तम श्रेणी का है।
- केमिकल ग्रेड- जोधपुर, नागौर।
- सीमेन्ट ग्रेड-चित्तौड़गढ़, नागौर, बूंदी, बांसवाड़ा, जैसलमेर, कोटा, झालावाड़।
4 फ्लोराइट- - मांडवों की पाल (डूंगरपुर) फ्लोराइट की प्रमुख खान है, जो एशिया की प्रमुख खानों में है। जालौर (करारा व भीनमाल) क्षेत्र में भी फ्लोराइट निकलता है।
- इसके उत्पादन में राजस्थान का एकाधिकार है।
- उपयोग- रासायनिक व सिरेमिक उद्योग तथा कीटनाशी पदार्थ बनाने में प्रयुक्त होता है।
- मांडों की पाल खान में सन् 1956 से खनन किया जा रहा है तथा 1975 में इसका आधुनिकीकरण किया गया।
उर्वरक खनिज
1 जिप्सम/हरसौंठ- सर्वाधिक – 95% राजस्थान में मिलता है।
- यह एक खनिज पदार्थ की तटदार किस्म है, जो अपने खेदार के रूप में सैलेनाईट कहलाती है।
- उत्तर-पूर्वी क्षेत्र मुख्य रूप से उत्पादक क्षेत्र है।
- राजस्थान में जिप्सम उत्पादन के तीन क्षेत्र है-
(i) नागौर क्षेत्र- भदवासी, मांगलोद में प्रमुख खाने हैं।
(ii) बीकानेर- गंगानगर, चूरू क्षेत्र- जामसर (बीकानेर) में राज्य में सबसे बड़ा जिप्सम जमाव क्षेत्र है।
(iii) जैसलमेर-बाड़मेर-पाली–जोधपुर क्षेत्र– मोहनगढ़, हमीरवाली, धानी, लाखा (जैसलमेर), फालसुन्द (जोधपुर) में जमाव क्षेत्र है। – उपयोग क्षारीय भूमि के उपचार हेतु प्रयुक्त।
2 रॉक फॉस्फेट - उदयपुर का झामर कोटड़ा स्थान रॉक फॉस्फेट के लिए प्रसिद्ध है।
- देश का 96% राज्य में उत्पादित होता है।
- उपयोग- रासायनिक खाद (सुपर फास्फेट) के निर्माण, लवणीय भूमि के उपचार हेतु प्रयुक्त।
- क्षेत्र- दाकन कोटरा-सीसर्मा (उदयपुर), विरमानिय व लाणी (जैसलमेर) सेलोपेट (बांसवाड़ा), अचरोल (जयपुर) व अडूका अदवानी (अलवर) है।
- कपूरा (सीकर) के समीप ऐपोटाइट के जमाव मिले हैं।
गौण खनिज
1 बेन्टोनाइट- देश का 15 प्रतिशत राज्य में उत्पादित होता है। | बाड़मेर (हाथी की ढाणी, गिराल, अकाली गांव), सवाई माधोपुर (दरयावन)। - उपयोग- वनस्पति व खनिज तेलों को साफ करने हेतु प्रयुक्त होता है।
2 संगमरमर- नागौर (मकराना) का संगमरमर विश्व प्रसिद्ध है। - देश का शतप्रतिशत राज्य में उत्पादित होता है।
- केल्साइटिक, डोलोमाइटिक, सिलिसियस श्रेणी का पत्थर है।
- नागौर (मकराना), सिरोही (सेखा पेखा) में केल्साइटिक, राजसमंद व बांसवाड़ा (त्रिपुरा सुन्दरी) में डोलामाइटिक तथा उदयपुर (बाबरमाल, रिखबदेव) में सिलिसियस किस्म का पाया जाता है।
- उत्पादन की दृष्टि से राजसमंद प्रथम है जबकि हरे संगमरमर के लिए उदयपुर प्रथम स्थान पर है।
- राजसमंद (मोरवड व राजनगर) की खानों में सर्वाधिक संगमरमर मिलता है।
- किशनगढ़ देश की मार्बल मंडी है।
- सफेद मार्बल – मकराना (नागौर) राजसमंद
- हरा व गुलाबी – उदयपुर
- काला मार्बल – भैंसलाना
- लाल मार्बल – धौलपुर
- पीला मार्बल – जैसलमेर
- जैसलमेर के संगमरमर का उपयोग खिलौने व सजावट की वस्तुओं के लिए किया जाता है।
इमारती पत्थर-
- चूना पत्थर व बलुआ पत्थर ही महत्वपूर्ण इमारती पत्थर है।
- उत्पादन की दृष्टि से देश में राजस्थान प्रथम स्थान पर है।
- इमारती पत्थर के जोधपुर जिले में विशाल भण्डार है। इसके पश्चात कोटा चितौडगढ़ व बीकानेर है जहाँ विन्ध्यन समूह के तलो से प्राप्त होता है।
- जालौर में गुलाबी रंग का ग्रेनाइट जो सर्वाधिक प्राप्त है।
- जोधपुर में गुलाबी व भुरे रंग के पत्थरों की खानें है।
- उदयपुर व डूंगरपुर में काला पत्थर व जैसलमेर में पीला व छींटदार पत्थर मिलता है।
- करौली धौलपुर व भरतपुर में लाल रंग का पत्थर निकाला जाता है। काला जयपुर (कालाडेरा)
अन्य खनिज
1 घीया पत्थर - यह मुलायम और सघन सेल खडी चट्टानें होती है जो चिकनी व मुलायम होती है।
- स्टेटाइट एक अच्छी किस्म है।
- राजस्थान भारत का 90 प्रतिशत उत्पादित करता है अर्थात् एकाधिकार प्राप्त खनिज है।
- धौलपुर का गुलाबी सोप स्टोन विश्व भर में प्रसिद्ध है।
- उपयोग – पाउडर निर्माण जिसके कारखाने दौसा, भीलवाड़ा व उदयपुर में है।
- क्षेत्र – डागोथाझरना (दौसा), घेवरियचाँदपुरा (भीलवाड़ा) देवपुरा (उदयपुर)
2 स्लेट पत्थर - राजस्थान में अलवर जिले में ही पाये जाने के कारण एकाधिकार प्राप्त खनिज है।
- भारत से निर्यात होने वाली कुल मात्रा में 80 प्रतिशत अलवर जिले से ही निर्यात होता है।
- क्षेत्र – बहरोड, भाढ़णा, खुण्डरोट, भोयासर, रासलाना और गीगलाना क्षेत्र अलवर जिले में स्थित है।
3 कैल्साइट - राजस्थान कैल्साइट उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है।
- सबसे अधिक उत्पादन सीकर जिले (69 प्रतिशत) व उदयपुर जिले (21 प्रतिशत) से होता है।
- उपयोग – सूक्ष्मदर्श यन्त्र केनिकिल त्रिपारा बनाने के काम आता है।
- इसका रासायनिक संगठन केल्सियम कार्बोनेट है।
- क्षेत्र – सिरोही, जयपुर, झुंझुनू, अजमेर, राजसमन्द, बांसवाड़ा
4 पाइराइट्स - (सीकर) में विशाल भंडार है।
- उपयोग – गंधक का तेजाब व उर्वरक बनाने में प्रयुक्त
5 सिलिका रेत - सर्वाधिक जयपुर, बूंदी, सवाईमाधोपुर से प्राप्त होती है।
- उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान दूसरे स्थान पर है।
- उपयोग – काँच उद्योग व धातु गलाने में प्रयुक्त।
6 यूरेनियम - अयस्क – पैगमेटाइट्स, मोनोजाइट, चैरेलाइट
- सर्वाधिक – ऊमरा (उदयपुर), खण्डेला व रोहित (सीकर), जयपुर व भूणास (कीलवाडा)
7 ग्रेफाइट - क्षेत्र – अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, जोधपुर
- उपयोग – अणुशक्ति ग्रह में मंदक व भारी मशीनों के स्लेहक के रूप में प्रयुक्त
8 एकवामेरिन - यह हल्के नीले रंग का मूल्यवान पत्थर है
- क्षेत्र – टोंक, भीलवाड़ा अजमेर
9 लिग्नाइट - देश के राजस्थान में 7 प्रतिशत है।
- उत्पादन में राजस्थान का दूसरा स्थान है।
- सर्वाधिक भंडार बाडमेर में है।
- यह कोयने के किस्म है।
- क्षेत्र – कपूरडी, जालीपा, गिराल (बाडमेर) पलाना, बरसिंगसर, चानेरी, गुढ़ा (बीकानेर)
10 खनिज तेल - गुढ़ाकालानी (बाडमेर) में हालैण्ड की शैल कम्पनी को व कोसूल (बाडमेर) में केयर्न इण्डिया को तेल के भण्डार प्राप्त हुए।
- क्षेत्र – जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर
11 प्राकृतिक गैस - मीथेन व हीलियम गैस घोटारू (जैसलमेर) में रामगढ़, डांडेवाला, तनोट, मनोहर टिब्बा (जैसलमेर) में प्राकृतिक गैस के भंडार मिले |
12 अभ्रक - भीलवाड़ा अभ्रक नगरी दाता भूनास, टूका, बनेड़ा प्रतापपुरा,
- उदयपुर – सरवाड़गढ़, भगतपुरा, आमेट, चम्पागुढ़ा
- अजमेर, कलाटाकरा भीनाम, जालिया, लसानी चापानेरी
- टोक – बडना, मानखण्ड, घोली
- जयपुर- माधोराजपुरा – मोती खान
13 यूरेनियम
उदयपुर सीकर अजमेर भीलवाडा
उमरा खण्डेला किशनगढ़ भूवास
14 यूरेनियम - अजमेर जिले में राजगढ़ – बूबानी क्षेत्र