द्रव्यमान, बल, त्वरण, कार्य, ऊर्जा, संवेग, गति
- एक व्यक्ति एक संवेदनशील (Sensitive) तराजू पर खड़ा है। यदि गहरी सांस अंदर लेता है, तो तराजू की रीडिंग – घटेगी
- साधारण यंत्र किसी व्यक्ति की सहायता करता है – कम बल का प्रयोग करके भी उतनी ही मात्रा में काम करने में
- वाशिंग मशीन का कार्य सिद्धांत है – अपकेंद्रण
- प्रक्षालन मशीन की कार्य-प्रणाली का सिद्धांत है – अपकेंद्रीकरण
- विस्थापन, वेग, बल तथा आयतन में से सदिश राशि (Vector) नहीं है -आयतन
- समय, चाल, विस्थापन तथा दूरी में से सदिश राशि है – विस्थापन
- संवेग, दाब, ऊर्जा तथा कार्य में से सदिश राशि है – संवेग
- पदार्थ के संवेग (Momentum) और वेग के अनुपात में जो भौतिक राशि प्राप्त की जाती है, वह है – द्रव्यमान
- बल गुणनफल है – द्रव्यमान और त्वरण का
- ऊर्जा संरक्षण का आशय है कि – ऊर्जा का न तो सृजन हो सकता है और न ही विनाश
- हवाओं की ऊर्जा होती है – केवल गतिज
- वायु शक्ति (विंड पॉवर) में ऊर्जा का जो रूप विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होता है, वह है – गतिज ऊर्जा
- एक ट्रेन जैसे ही चलना आरंभ करती है उसमें बैठे हुए यात्री का सिर पीछे की ओर झुक जाता है। इसका कारण है – स्थिरता का जड़त्व
- कथन (A): एक पूर्णतः घर्षणहीन पृष्ठ (Completely Frictionless
Surface) पर खड़ा एक व्यक्ति सीटी बजाने से अपने को गति में ला सकता है।
कारण (R): यदि किसी तंत्र पर कोई बाह्य बल क्रियाशील नहीं है, तो इसका संवेग H परिवर्तित नहीं हो सकता। – (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है। - सड़क पर चलने की अपेक्षा बर्फ पर चलना कठिन है, क्योंकि – बर्फ में सड़क की अपेक्षा घर्षण कम होता है
- भरी हुई गाड़ी (cart) को चलाने में, उसे चलायमान रखने के लिए आवश्यक ताकत से अपेक्षाकृत अधिक ताकत से धक्का देना पड़ता है, क्योंकि – एक बार गाड़ी चल पड़ने के बाद घर्षण कम होता है
- एक मनुष्य स्थिर नाव से पांच मीटर प्रति सेकंड की चाल से कूदा और नाव 0.5 मीटर प्रति सेकंड की चाल से खिसकी। नाव का द्रव्यमान मनुष्य के द्रव्यमान का है – 10 गुना
- एक ट्रक, एक कार और एक मोटरसाइकिल की गतिज ऊर्जाएं समान हैं, यदि समान अवरोधक बल लगाए जाएं और वे क्रमश: X, Y और Z दूरी पर रुकें, तो – x=Y=Z
- एक व्यक्ति कार में, जो विराम में बैठा है, सड़क से कार के चार पहियों में से प्रत्येक पर प्रतिक्रिया R है, जब कार सीधी समतल सड़क पर चलेगी , तो अन पहियों में प्रत्येक पर प्रतिक्रिया – R से कम होगी
- तेल से अंशतः भरा हुआ तेल का एक टैंकर समतल सड़क पर आगे की ओर एकसमान त्वरण से जा रहा है। तेल का मुक्त पृष्ठ – परवलयी वक्र का आकार लेगा
- निम्न कथनों पर विचार कीजिए:
- एक तीक्ष्ण वृत्ताकार पथ पर तीव्र गति से जाता हुआ 4 पहियों वाला वाहन
- 1. बाहरी पहियों पर उलटेगा
- 2. अंदर के पहियों पर उलटेगा
- 3. बाहर की तरफ फिसलेगा
- 4.अंदर की तरफ फिसलेगा
- इसमें से सही कथन हैं – 2 और 3
- त्वरण ज्ञात करने का सही सूत्र है – a=(v-u)/t
गुरुत्व के अधीन गति
- वह वैज्ञानिक जिसने न्यूटन से पूर्व ही बता दिया था कि सभी वस्तुएं पृथ्वी की ओर गुरुत्वाकर्षित होती हैं – ब्रह्मगुप्त
- गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत दिया – आइजैक न्यूटन ने
- गुरुत्वाकर्षण के सार्वभौमिक नियम का प्रतिपादन किया – न्यूटन ने
- अंतरिक्ष यात्री निर्वात में सीधे खड़े नहीं रह सकते, क्योंकि – वहां गुरुत्व नहीं होता है
- अंतरिक्ष यान, जो चक्कर लगा रहा है, से एक सेब छोड़ा जाता है, तो वह – अंतरिक्ष यान के साथ-साथ उसी गति से गतिवान होगा
- ‘पीसा’ (Pisa) की झुकी हुई मीनार गिर नहीं जाती है, क्योंकि – गुरुत्य केंद्र से जाने वाली ऊर्ध्वाधर लाइन (रेखा) तल के अंदर रहती है
- यदि पृथ्वी और सूर्य की दूरी जो है उसके स्थान पर दोगुनी होती, तो सूर्य द्वारा पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल जो पड़ता, वह होता – अब जितना है उसका चौथा भाग
- जब कोई वस्तु ऊपर से गिराई जाती है, तो उसका भार होता है – अपरिवर्तित
- लकड़ी, लोहे व मोम के समान आकार के टुकड़ों को समान ऊंचाई से पृथ्वी पर गिराया जाता है, जो टुकड़ा सर्वप्रथम पृथ्वी की सतह पर पहुंचेगा, वह है – सभी साथ-साथ पहुंचेंगे
- हवा में लोहे और लकड़ी की समान भार की गेंद को समान ऊंचाई से गिराने पर – लकड़ी की गेंद बाद में गिरेगी
- दो गेंदें A तथा B क्रमशः 10 किग्रा. तथा 1 किग्रा. की हैं, उन्हें 20 मीटर की ऊंचाई से एक साथ गिराया जाता है, तो – भूमि पर दोनों गेंदें A और B एक साथ पहुंचेंगी
- कथन : चंद्रमा पर मानव का वजन पृथ्वी की तुलना में 1/6 रहता है।
कारण : चंद्रमा पर पृथ्वी की तरह गुरुत्वाकर्षण नहीं है। – कथन सही है, परंतु कारण गलत है। - किसी पिंड का भार – ध्रुवों पर सर्वाधिक होता है
- मानव शरीर का भार होता है – ध्रुवों पर अधिकतम
- गुरुत्व के अधीन विरामावस्था से मुक्त रूप से गिरने वाले किसी कण के मामले में समय (t) में विस्थापन (d) का विवरण प्रदर्शित करने वाला रेखाचित्र है

एक चिकना आनत तल, क्षैतिज के साथ 0 कोण पर आनत है जैसा कि दी गई आकृति में दिखाया गया है। एक पिंड विरामावस्था से प्रारंभ कर आनत पृष्ठ पर से नीचे की ओर फिसलता है। अधस्तल तक पिंड को पहुंचने में लगा समय है

- एक ऊंची इमारत से एक गेंद 9.8 मी./से2. के समान त्वरण के साथ गिराई जाती है। 3 सेकंड बाद उसका वेग होगा – 29.4 मी./से.
- यदि पृथ्वी का द्रव्यमान वही रहे और त्रिज्या 1% से कम हो जाए, तब पृथ्वी के तल पर g का मान -2% बढ़ जाएगा
- विनाशकारी भूकंप के गुरुत्व के कारण त्वरण होगा – > 980 सेमी./से2.
- एक वस्तु का पृथ्वी पर द्रव्यमान 100 किग्रा. है (गुरुत्व जनित त्वरण, ge = 10 m/s) अगर चंद्रमा पर गुरुत्व जनित त्वरण (ge=106m/s2) है, तो चंद्रमा पर वस्तु का द्रव्यमान होगा – 100 किग्रा.
- भारहीनता होती है – गुरुत्वाकर्षण की शून्य स्थिति
- पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा कर रहा कृत्रिम उपग्रह इसलिए पृथ्वी पर नीचे नहीं गिरता, क्योंकि – पृथ्वी का आकर्षण उसकी गति के लिए आवश्यक त्वरण प्रदान करता है
- एक भू-उपग्रह अपने कक्ष में निरंतर गति करता है। यह अपकेंद्र बल के प्रभाव से होता है जो प्राप्त होता है – पृथ्वी द्वारा उपग्रह पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण से
- अपने कक्ष में एक उपग्रह पृथ्वी के चक्कर लगाता रहता है। वह ऐसा करता है – द्राभिमुखी बल के कारण
- प्रकृति के ज्ञात बलों को चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे कि गुरुत्व, विद्युत चुंबकत्व, दुर्बल नाभिकीय बल और प्रबल नाभिकीय बल। चारों में सबसे प्रबल है – गुरुत्व
- किसी लिफ्ट में बैठे हुए व्यक्ति को अपना भार अधिक मालूम पड़ेगा। – जब लिफ्ट त्वरित गति में ऊपर जा रही हो
- लोलक की कालावधि (Time-period) – लंबाई के ऊपर निर्भर करती है
- लोलक घड़ियां गर्मियों में सुस्त हो जाती हैं, क्योंकि – लोलक की लंबाई बढ़ जाती है
- एक लड़की झूले पर बैठी स्थिति में झूला झूल रही है। उस लड़की के खड़े हो जाने पर प्रदोल आवर्तकाल – कम हो जाएगा
- निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
एक सामान्य दोलक का दोलन चल रहा है। ऐसे में- जब गोला माध्य स्थान से गुजरता है, त्वरण शून्य होता है।
- हर आवर्तन में गोलक दो बार किसी एक निर्दिष्ट वेग को प्राप्त करता है।
- दोलन के दौरान जब गोला चरम स्थिति पर पहुंचता है, उसके गति और त्वरण दोनों शून्य होते हैं।
- सामान्य दोलक का दोलन-आयाम समय के साथ-साथ कम होता जाता है।
- इस कथनों में से सही हैं – 1, 2 और 4
- भारहीनता होती है – गुरुत्वाकर्षण की शून्य स्थिति
- सुमेलित है
रेडियम – मैडम क्यूरी
गनिसिलीन – असंवजेंडर गलामिंग
एक्स-रे – डब्ल्यू. के. रॉन्टजेन - चेचक – एडवर्ड जेनर
- पृथ्वी अपने कक्ष में लगभग 4400 किमी. प्रति घंटा की गति से घूमती है। इस तेज गति को हम अनुभव नहीं करते हैं, क्योंकि – अपने कक्ष में पृथ्वी की गति की अपेक्षा में हमारी गति शून्य है।
- यदि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल अचानक लुप्त हो जाता है, तो – वस्तु का भार शून्य हो जाएगा, परंतु द्रव्यमान यही रहेगा
- पेंडुलम घड़ी तीव्र गति से चल सकती है – शीतकाल में
- पृथ्वी का पलायन वेग है – 11.2 किमी./सेकंड
- अगर किसी वस्तु को 8 किमी प्रति सेकंड के वेग से अंतरिक्ष में फेंका जाए, तो – वह वापस पृथ्वी पर आ गिरेगी
- चंद्रमा पर वायुमंडल नहीं होने का कारण है – इस पर गैस अणुओं का पलायन वेग उनके वर्ग माध्य मूल वेग से कम होता है