• राजस्थान की सिंचाई परियोजनाओं से प्रभावित होकर पं. जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि “ये परियोजनाएं मेरे लिए आधुनिक भारत के मंदिर और तीर्थस्थल है ।
  • वर्षा के अभाव में भूमि को कृत्रिम तरीकों से जल उपलब्ध कराने की क्रिया को ‘सिंचाई’ कहा जाता है।
  • राजस्थान में सिंचाई के प्रमुख साधन –
    1 कुएँ व नलकूप- ये कुल सिंचित क्षेत्र के 67.37% क्षेत्र पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाते हैं। इनसे सर्वाधिक सिंचाई जयपुर जिले में होती है।
    2 नहरें- ये कुल सिंचित क्षेत्र के 3091% क्षेत्र पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाती है। इनसे सर्वाधिक सिंचाई गंगानगर जिले में होती है।
    3 तालाब- ये कुल सिंचित क्षेत्र के 1.72% क्षेत्र पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाते हैं। इनसे सर्वाधिक सिंचाई भीलवाड़ा जिले में होती है।
    प्रमुख परियोजनाएं
    1 गंग नहर-
  • राजस्थान के पश्चिमी भागों में वर्षा के अभाव को दूर करने के लिए सन् 1927 ई. में तत्कालीन महाराजा गंगासिंह (बीकानेर) ने इस नहर को निर्माण करवाया।
  • यह नहर सतलज नदी से फिरोजपुर के लिए हुसैनीवाला से निकाली गई।
  • गंग नहर पंजाब राज्य से बहती हुई खक्खां के पास बीकानेर डिवीजन में प्रवेश करती है। फिर शिवपुर, गंगानगर, जोरावरपुर, पदमपुर, रायसिंह नगर और सरूपसर के पास से होती हुई अनूपगढ़ तक आई है।
  • मुख्य शाखाएं- लक्ष्मीनारायण जी, लालगढ़, करणजी, समिजा।
  • फिरोजपुर हैडवर्क से इस नहर की लम्बाई 292 किमी. है।
  • प्रमुख नहर व उपशाखाओं की कुल लम्बाई 1280 किमी. है।
  • यह राज्य की सर्वप्रथम नहर – गंगनहर
  • इससे प्रेरणा लेकर भारत सरकार व राज्य सरकार ने ‘इंदिरा गांधी नहर परियोजना को मूर्त रूप प्रदान किया।
  • गंगनहर लिंक चैनल – सन् 1980 में यह चैनल निर्मित किया गया। इसकी लम्बाई 80 किमी. है।
  • इसका उद्गम स्थल हरियाणा में लोहागढ़ नामक स्थान है।
  • इस चैनल को इंदिरा गांधी नहर परियोजना से जोड़ा गया है।
  • प्रारंभिक 7 किमी. हिस्सा हरियाणा राज्य में है।
  • यह साधुवाली ग्राम के निकट गंगानगर से जोड़ी गई है।
    2 इंदिरा गांधी नहर परियोजना/मरूगंगा/जीवन रेखा-
  • यह नहर पूर्व में राजस्थान नहर के नाम से जानी जाती थी।
  • विश्व की महत्त्वपूर्ण परियोजना मानी जाती है।
  • पेयजल आपूर्ति – बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, नागौर
  • उद्देश्य- औद्योगिक विकास, वृक्षारोपण, मृदा संरक्षण, पर्यटन की पूर्ति।
  • नहर की लम्बाई- 649 किमी. (हरिके बांध से गडरा रोड़ बाड़मेर तक है।) * इंदिरा गांधी नहर परियोजना का निर्माण कार्य का श्रीगणेश तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री स्व. गोविन्द वल्लभ पंत ने 31 मार्च, 1958 को किया।
  • सतलज-व्यास नदियों के संगम पर निर्मित हरिकै बैराज से निकाली गई।
  • दो मुख्य चरण- 1 राजस्थान फीडर, 2 मुख्य नहर
  • प्रारूप निर्माता- श्री कंवर सेन
  • परिवर्तित नाम- 2/11/1984 को इंदिरा गांधी नहर रखा गया। इसके पूर्व राजस्थान नहर परियोजना था।
    (i) राजस्थान फीडर की लम्बाई- 204 किमी.
  • 167 किमी भाग पंजाब व हरियाणा में बहने के पश्चात् 37 किमी, राजस्थान में मसीतावाली हेतु (हनुमानगढ़) तक जाती है।
  • प्रथम चरण से निकली शाखाएं- सूरतगढ़ शाखा, अनूपगढ़ शाखा पूंगल शाखा।
  • प्रथम चरण का विशेष भाग लूणकरणसर (बीकानेर) जलोत्थान नहर है।
  • प्रथम चरण की वितरण शाखाओं (3075 किमी.) का निर्माण कार्य 1991-92 में पूरा हो गया।
    (ii) द्वितीय चरण में मुख्य नहर फीडर के अंतिम सिरे से प्रारंभ होती है।
  • इसकी पहले लम्बाई 445 किमी. (रामगढ़, जैसलमेर) तक थी।
  • 1 जनवरी, 1987 को तत्कालीन केन्द्रीय वित्त मंत्री विश्वनाथ प्रतापसिंह द्वारा इसमें जल प्रवाहित किया गया।
    विशिष्ट विशेषताएं-
  • इस नहर की कुल 9425 किमी. है यानी देश की लम्बाई व चौड़ाई के योग से भी दुगुनी है।
  • इंदिरा गांधी फीडर के तले की चौड़ाई 36 मीटर व गहराई 6.4 किमी. है।
  • मुख्य नहर के ऊपर हर ढाई किमी. की दूरी पर एक पुल है तथा हर पुल पर एक घाट है।
  • खुदाई व ढुलाई लगभग 1200 करोड़ घटन फुट मिट्टी जिससे विश्व के चारों ओर 4 फुट मोटी और 20 फुट चौड़ी सड़क का निर्माण हो सकता है।
  • नहर के बाईं ओर रेगिस्तानी क्षेत्र ऊंचाई पर स्थित है। इसलिए मुख्य नहर से लिफ्ट नहरें निकाली गई है जिसकी वितरण प्रणाली 1960 किमी. लम्बी है।
    (1) कोलायत लिफ्ट नहर।
    (2) फलौदी लिफ्ट नहर
    (3) गडरा रोड़ लिफ्ट नहर
    (4) बांगड़सर लिफ्ट नहर
    (5) नोहर साहवा लिफ्ट नहर
    (6) पोकरण लिफ्ट नहर
    (7) गजनेर लिफ्ट नहर

3 चम्बल घाटी परियोजना-

  • राजस्थान तथा मध्य प्रदेश की संयुक्त योजना है (50:50)
  • सूत्रपात- 1943 में कोटा के निकट।
  • योजना चरण- तीन चरण
    (i) प्रथम चरण- 1960 ई.
  • गांधी सागर बांध का निर्माण (1959) व गांधी सागर विद्युत गृह निर्माण।
  • गांधी सागर बांध (मध्यप्रदेश) कोटा से 90 किमी. दूर 513.5 मीटर लम्बा व 62 मीटर ऊंचा।
  • कोटा बैराज का निर्माण ।
  • कोटा बैराज के दोनों तरफ नहरों का निर्माण।
    (ii) द्वितीय चरण- 1970 ई.
  • राणा प्रताप सागर बांध व विद्युत गृह का निर्माण ।
    (iii) तृतीय चरण-
  • जवाहर सागर बांध व विद्युत गृह का निर्माण।
  • कोटा सिंचाई बांध (रावतभाटा)-438 मीटर लम्बा व 42 मीटर ऊंचा।
  • कोटा बैराज की दांयी नहर की लम्बाई 372 किमी. (124 किमी., राजस्थान + 248 किमी. मध्य प्रदेश)
  • राणा प्रताप सागर बांध (रावतभाटा, चित्तौड़गढ़)- 1100 मी. लम्बा व 42 मीटर (भराव क्षमता की दृष्टि से सबसे बड़ा बांध) ऊंचा।
  • जवाहर सागर बांध (कोटा)- दूसरा नाम कोटा बांध। इस बांध में ‘पिक-अप’, ‘गांधी सागर’ व राणा प्रताप सागर दोनों के छोड़े गये पानी को इकट्ठा करने के लिए निर्मित है।
  • चम्बल परियोजना से मृदा के क्षारीयपन, अपवाह की समस्याओं का निराकरण विश्व बैंक की सहायक शाखा IDA द्वारा किया जा रहा है।
  • राणा प्रताप सागर बांध के पास रावतभाटा में राजस्थान अणुशक्ति योजना’ कनाडा के सहयोग से 1973 में स्थापित की गई।
  • चम्बल लिफ्ट परियोजनाएं- 8 लिफ्ट योजनाएं-
    1 जालीपुरा लिफ्ट स्कीम (कोटा)
    2 दीगोद लिफ्ट स्कीम (कोटा)
    3 अंता लिफ्ट स्कीम (बारा)
    4 अंता लिफ्ट माइनर (बारा)
    5 पचेल लिफ्ट स्मीक (बारा)
    6 गणेशगंज लिफ्ट स्कीम (बारां)
    7 सोरखण्ड लिफ्ट स्कीम (बारा)
    8 कचारी लिफ्ट स्कीम (बारा)
  • सर्वाधिक लिफ्ट नहरें बारां में है।
    4 माही बजाज सागर परियोजना-
  • राजस्थान व गुजरात की संयुक्त परियोजना ( 45:55)
  • इसका प्रारंभ 1960 में तत्कालीन वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने किया। इसकी लम्बाई 3109 मी. है।
  • नामकरण- जमनालाल बजाज के नाम पर ।
  • स्थान- बांसवाड़ा जिले में।
  • 1971 में केन्द्रीय जल आयोग ने स्वीकृति प्रदान की।
  • वास्तविक रूप में निर्माण कार्य 1972 में प्रारंभ हुआ।
  • 1 जनवरी, 1986 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी ने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया।
  • कार्य तीन चरणों में पूर्ण हुआ।
    प्रथम चरण-
  • इसमें सिंचाई की सुविधा में दोनों का हिस्सा है। (गुजरात व राजस्थान)
    द्वितीय चरण-
  • सिंचाई व ऊर्जा दोनों की सुविधा केवल राजस्थान के लिए है।
    तृतीय चरण-
  • ऊर्जा वाला हिस्सा।
  • कागदी पिक-अप बांध- इस बांध से दो नहरें निकाली गई-
    1 दाई नहर (71.72 किमी.)
    2 बांई नहर (36.12 किमी.)
    5 भाखड़ा नांगल परियोजना –
  • भारत की सबसे बड़ी परियोजना।
  • पं. जवाहरलाल नेहरू ने इसे एक चमत्कारी विराट वस्तु कहा है।
  • राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, की संयुक्त परियोजना है।
  • राजस्थान का अंश 15.2 प्रतिशत है।
  • सर्वाधिक लाभ गंगानगर जिले को मिला व हनुमानगढ़ को सिंचाई सुविधा। * नांगल विद्युत गृह से राजस्थान को विद्युत प्राप्त होती है।
  • बीकानेर व रतनगढ़ शहर को इरा परियोजना रो विद्युत दी जाती है |
    भाखड़ा बांध-
  • सतलज नदी पर 518 मीटर लम्बा, 226 मीटर ऊंचा बांध।
  • भारत का सबसे ऊंचा बांध है। इसके पीछे जलाशय का नाम गोविन्द सागर (96 किमी.) है।
    नांगल बांध-
  • नांगल नामक स्थान पर 305 मीटर लम्बा व 29 मीटर ऊंचा बांध ।
  • राजस्थान में इस परियोजना से उपलब्ध पानी का उपयोग करने के लिए 1570 किमी. लम्बी छोटी-बड़ी नहरों का निर्माण किया गया।
    6 व्यास परियोजना व पोंग बांध –
  • राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश की संयुक्त परियोजना है।
  • सतलज, रावी व व्यास नदियों के संगम पर।
  • तीन ईकाइयां-
    1 व्यास सतलज लिंक
    2 व्यास नदी पर पोंग बांध
    3 व्यास सम्प्रेषण प्रणाली।
  • प्रथम ईकाई में हिमाचल प्रदेश में पनदोह स्थान पर व्यास-सतलज बांध का निर्माण किया गया।
  • दूसरी ईकाई में व्यास नदी पर स्थित पोंग बांध में राजस्थान को लिए जल एकत्र किया गया। (पोंग बांध/रणजीत सागर बांध)
  • यह जल इंदिरा गांधी नहर परियोजना द्वारा प्राप्त होगा।
  • रावी व्यास जल विवाद का निपटारा मई 1987 में इराडी कमीशन ने किया।
    7 जवाई बांध परियोजना –
  • निर्माण- 1956 में जवाई नदी पर (पाली)
  • लम्बाई- 923 मीटर, ऊंचाई- 34 मीटर।
  • इससे 22 किमी. लम्बी मुख्य नहर निकाली गई।
  • लाभान्वित जिले- पाली व जालौर ।
  • मारवाड़ का अमृत सरोवर- पश्चिमी राजस्थान का।
  • जल भण्डारण क्षमता की दृष्टि से पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है।
    8 जाखम परियोजना-
  • निर्माण- 1963 में जाखम नदी पर (चित्तौड़गढ़)
  • लम्बाई- 253 मीटर, ऊंचाई- 81 मीटर
  • उद्देश्य- उदयपुर जिले की जनजातीय क्षेत्रों में सिंचाई।
  • अन्य बांध- प्रतापगढ़ जिले में पिक-अप बांध ।
  • 1998-98 में कार्य पूर्ण हुआ।
    9 राजीव गांधी सिद्धमुख व नोहर परियोजना –
  • वर्ष 1982 के रावी व्यास नदियों के समझौते में राजस्थान को प्राप्त 8.6 MAF जल का उपयोग करने के लिए यूरोपियन आर्थिक समुदाय के द्वारा प्रारंभ योजना।
  • शिलान्यास- 5 अक्टूबर, 1989 को स्व. श्री राजीव गांधी द्वारा भिरानी गांव के समीप।
  • 2001-02 में पूर्ण हुई
  • लोकार्पण- श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा।
  • सिंचाई सुविधा- नोहर व भादरा (हनुमानगढ़), राजगढ़ व तारानगर (चूरू)।
  • राजस्थान को अतिरेक पानी की आपूर्ति नांगल के हैड वर्क्स द्वारा की जाती है।
    10 बीसलपुर परियोजना-
  • पेयजल आपूर्ति- अजमेर, ब्यावर, किशनगढ़, नसीराबाद, केकड़ी।
  • निर्माण- 1986-87 में बनास नदी पर (टोंक जिले में बिसलपुर गांव में)।
  • 1999 के प्रारंभ में जयपुर जिले को पेयजल आपूर्ति का निर्णय लिया गया था।
  • लम्बाई- 576 मीटर, ऊंचाई- 39.5 मीटर।
  • कंक्रीट का बनाया गया बांध है।
  • इस परियोजना के लिए नाबार्ड के ग्रामीण आधार ढांचा विकास कोष (RIDF) से आर्थिक सहायता प्रदान की गई।
    महत्त्वपूर्ण तथ्य
  • भरतपुर नहर (1963-64) में यमुना नदी से निकाली गई 28 किमी. लम्बी नहर है।
  • गुड़गांव नहर (1966-85) यमुना नदी से निकलकर भरतपुर जिले से राजस्थान में प्रवेश करती है। वर्तमान में इसका नाम यमुना लिंक परियोजना कर दिया गया है।
  • सेम की समस्या के निदान हेतु डी ड्रेनेज कैनाल का निर्माण करना चाहिए। * डॉ. सिचेन्डर द्वारा आविष्कृत लिफ्ट ट्रांसलेटर नामक यंत्र लगाकर विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
  • सोम–कमला-अम्बा परियोजना (डूंगरपुर) सोम नदी पर 2001-02 में पूर्ण हुई।
  • औराई सिंचाई योजना (चित्तौड़गढ़) औराई नदी पर 1967 में निर्मित हुई। इससे चित्तौड़गढ़ व भीलवाड़ा जिलों को सिंचाई सुविधा मिलती है।
  • आपणी/चूरू परियोजना जर्मनी सरकार की आर्थिक सहायता से झुंझुनूं, हनुमानगढ़, चूरू जिलों में प्रारंभ की गई।
  • भीखाभाई सागवाड़ा नहर माही नदी पर 2002 में प्रारंभ की गई।
  • मोरेल बांध (सवाई माधोपुर) मोरेल नदी पर मिट्टी से निर्मित बांध है।
  • गुढ़ा योजना (बूंदी)- 1958 में मिट्टी से निर्मित बांध।
  • बांकली बांध (जालौर)– 1959 मे सूकड़ी नदी पर जालौर व पाली जिलों को सिंचाई सुविधा हेतु निर्मित किया गया।
  • पार्वती योजना (धौलपुर)- 1959 में पार्वती नदी पर बनाई गई।
  • मेजा बांध (भीलवाड़ा)- 1972 में कोठारी नदी पर बनाया गया। इस बांध पर निर्मित मेजा बांध को ‘ग्रीन माउन्ट’ भी कहते हैं।
  • पश्चिमी बनास योजना- 1958-59 में प्रारंभ की गई।
  • गम्भीरी योजना (चित्तौड़गढ़)- 1956 में गम्भीरी नदी पर बनाई गयी।
  • इन्दिर लिफ्ट सिंचाई योजना व पिपलदा लिफ्ट सिंचाई योजना सवाई माधोपुर में निर्मित की गई।
  • सोम का गदर सिंचाई योजना उदयपुर जिले में सोम नदी पर निर्मित है।
  • पांचना परियोजना (करौली) पांचना नदी (भद्रावती, बरखेड़ा, अटा, भैसावर, माची का संगम) पर निर्मित मिट्टी का बांध है। करौली कस्बे की भद्रावती नदी के कहर से बचाने हेतु चूली देह परियोजना बनाई गई है। राजस्थान का मिट्टी से निर्मित सबसे बड़ा बांध है।
  • चाकण सिंचाई परियोजना (के शोरायपाटन, बूंदी) चाकण नदी पर निर्मित है।
  • छापी सिंचाई परियोजना (झालावाड़) परवन नदी की सहायक छापी नदी पर 2004-05 में बनाई गई।
  • बंध बैरठा परियोजना (भरतपुर) कुकुन्द नदी पर निर्मित बांध है।
  • ईसरदा बांध (सवाई माधोपुर) बनास नदी पर बनाया गया है। इसके ऊपरी बहाव क्षेत्र में कॉफर बांध टोंक जिले को पेयजल उपलब्ध कराते हैं।
  • गुरदड़ा सिंचाई परियोजना (बूंदी)- चम्बल की सहायक ‘मंगली डूंगरी और गणेशी नाल’ नदियों पर निर्मित परियोजना है।
  • सागवाड़ा माही नहर का परिवर्तित नाम ‘भीखा भाई सागवाड़ा माही नहर’ है।
  • इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में विश्व में पहली बार ‘वन सेना का गठन वृक्षारोपण हेतु किया गया।
  • नर्मदा परियोजना का मुख्य क्षेत्र सांचौर (जालौर) व गुढ़ामालानी (बाड़मेर) है।
  • सुजलम परियोजना (बाड़मेर) खारे पानी को मीठा बनाने हेतु भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (BARC) व रक्षा अनुसंधान (जोधपुर) को संयुक्त प्रयास से प्रारंभ की गई।
  • इंडो-डच जल निकासी परियोजना (हनुमानगढ़) सेम प्रभावित क्षेत्रों में जल निकासी हेतु नीदरलैण्ड के आर्थिक सहयोग से चलाई गई है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) व केन्द्र सरकार ने वर्ष 2003 के ‘स्वच्छ जल वर्ष’ घोषित किया।
  • राज्य में सतही जल की उपलब्धता- 1.16 प्रतिशत ।
  • बांध सुरक्षा संगठन 1976 में केन्द्रीय जल आयोग द्वारा स्थापित किया गया।
  • चन्दन नल कूप (जैसलमेर) मीठे पानी के कारण थार का घड़ा कहलाता है। * जैसलमेर में सिंचाई के साधनों के रूप में खड़ीनों का उपयोग किया जाता है।
  • बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली/ड्रिप सिंचाई प्रणाली सर्वप्रथम इजरायल में विकसित की गई।
  • कडाना बांध माही नदी पर (गुजरात में) निर्मित बांध है।
  • राजस्थान में जीवनधारा योजना का संबंध सिंचाई कुओं के निर्माण से है।
  • सरदार सरोवर परियोजना मध्य प्रदेश, महराष्ट्र, गुजरात व राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।

ONE LINER QUESTION ANSWER

राजस्थान की कला एवं संस्कृति

राजस्थान का भूगोल

SUBJECT QUIZ

Current Affairs

NOTES


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