राजस्थान की सामान्य जानकारी
वाल्मिकी :- इसने राजस्थान के लिए मरूकान्तार शब्द प्रयुक्त किया।
जार्ज थॉमस :- इसने सन् 1800 ई. में राजस्थान के लिए राजपूताना शब्द का प्रयोग मौखिक रूप से किया।
विलियम फ्रेंकलिन :- इसने सन् 1805 में अपने ग्रंथ “मिलिट्री मेमोयर्स ऑफ जार्ज” में राजपूताना शब्द का प्रयोग किया।
कर्नल जैम्स टॉड :-
जन्म :- 1782
मृत्यु :- 1835
- यह राजस्थान में 1818 से 1822 के मध्य रहा, इसकी नियुक्ति सर्वप्रथम 1817-18 में मेवाड़ रियासत में भीमसिंह सिसोदिया के यहाँ EIC ने PA. के रूप में की।
- कर्नल टॉड के प्रयासों से ही भीमसिंह सीसोदिया ने ईस्ट इंडिय कम्पनी (EIC) के साथ 13 जनवरी, 1818 ई. में सहायक संधि की।
- कर्नल जैम्स टॉड ने दो ग्रंथ लिखे :-
1 एनाल्स एण्ड एण्टी क्यूटीज ऑफ राजस्थान
दूसरा नाम :- द सेन्ट्रल वेस्टन राजपूताना स्टेट ऑफ इण्डिया। - इस ग्रंथ में Rajasthan के लिए रायथान, रजवाड़ा और राजस्थान शब्द का प्रयोग किया।
- इस ग्रंथ के दो भाग है :-
भाग 1 :- 1829 में प्रकाशित हुआ। इसमें Rajasthan का भौगोलिक स्वरूप, मेवाड़ इतिहास, राजस्थान की जागीरदारी व सामन्ती प्रथा का वर्णन किया गया है।
भाग II:- यह सन् 1832 में प्रकाशित हुआ, इस भाग में Rajasthan का मेवाड़, मारवाड़, बीकानेर व हाड़ौती के राजवंश का वर्णन हैं।
नोट :- यह ग्रंथ कर्नल जैम्स टॉड ने विलियम हंटर ब्लेयर को समर्पित किया है। - कर्नल जैम्स टॉड ने इंग्लैण्ड जाते समय “मानमोरी” नामक शिलालेख को समुद्र में फेंक दिया था।
- इसने कुम्भलगढ़ दुर्ग की तुलना एस्ट्रस्कन से की।
- कर्नल जैम्स टॉड के अनुसार सम्पूर्ण भारत में आगरा के किले के अलावा ऐसा दूसरा कोई किला नहीं है जिसका परकोटा कोटा के किले के बराबर हो।
- कर्नल टॉड के अनुसार बूंदी के राजप्रसाद (महल) राजस्थान के संपूर्ण रजवाड़ों में सर्वश्रेष्ठ है।
- कर्नल टॉड के अनुसार विजय स्तम्भ कुतुबमीनार से भी सर्वश्रेष्ठ है।
2 पश्चिमी भारत की यात्रा :- 1839
- दूसरा नाम – वेस्टर्न ट्रेवल्स इन इंडिया।
- समर्पित :- गुरु जेन यति ज्ञानचंद ।
- इस ग्रंथ में राजस्थान की अंधविश्वासी प्रथाओं का वर्णन है।
राजस्थान की मुख्य सभ्यताऐं
1 कालीबंगा :- कालीबंगा शब्द पंजाबी/सिंधी भाषा से लिया गया है। कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ है- काले रंग की चूड़िया।
- खोज :- 1951-52 में अम्लानंद घोष ने की।
- उत्खनन/खुदाई :- B.B. लाल व B.K. थापर द्वारा।
- ये सभ्यता हनुमानगढ़ जिले में घग्घर नदी के किनारे है।
- प्राचीनकाल में घग्घर के स्थान पर सरस्वती नदी बहा करती थी।
- सरस्वती के बारे में धार्मिक प्रमाण ऋग्वेद से मिलते है व वैज्ञानिक प्रमाण काजरी से प्राप्त होते है।
- CAZRI – जोधुपर में।
- स्थापना – 1959 में।
नोट :- लाठी सीरिज क्षेत्र :- जैसलमेर में मोहनगढ़ से पोकरण के मध्य 60 किमी. चौड़ी एक भूगर्भिक जल पट्टी हैं जिसे सीरिज क्षेत्र कहा गया। - इस क्षेत्र में सेवण (लीलोण) घास बहुतायत में मिलती है, जिसे साहिवाल नस्ल की गाय खाती है।
- इस लाठी सीरिंज क्षेत्र में चांदन नलकूप स्थित है। जिसे थार का घड़ा कहा जाता है।
- यह सभ्यता आद्य ऐतिहासिक काल की है।
- यह सैंधव कालीन सभ्यता है।
- यह कांस्य युगीन सभ्यता है।
- यह नगरीय सभ्यता है।
- इस सभ्यता में सड़के समकोण पर मिलती थी। जो जाल पद्धति या ग्रिड़ पद्धति में बनी थी।
- इस सभ्यता में घरों के दरवाजे मुख्य सड़क पर ना खुलकर पीछे गलियों में खुलते थे। अर्थात् ये शांतिप्रिय लोग थे।
- भवनों का निर्माण प्रारम्भ में कच्ची ईटों से किया गया व बाद में पक्की ईटों से किया गया।
- ईटों का अनुपात – 4:2 : 1
- यहाँ नालियों का निर्माण प्रारम्भ में लकड़ियों से व बाद में पक्की ईटों से किया गया। नालियाँ शहर के बाहर एक बड़े नाले में खुलती थी। अर्थात् इनकों नगर निगम की जानकारी थी।
- यहाँ से सात हवनकुण्ड/अग्नि वेदियाँ/यज्ञ वेदियाँ मिले हैं, इसमें हड्डियों के अवशेष मिले है।
- इसमें एक चित्र मिला है, जिसमें एक व्यक्ति पशु लेकर आगे बढ़ रहा है, अर्थात् पशु बलि देने की प्रथा थी।
- यहाँ पर कोई मंदिर नहीं मिलते हैं, एक महिला की मुद्रा मिली, जिसे कुमारदेवी की मुद्रा कहा गया है।
- यहाँ परिवार मातृ सत्तात्मक व एकल परिवार प्रणाली थी।
- यहाँ के लोगों को हाइड्रोस्पेलिस रोग निदान की जानकारी थी।
- यहाँ से सजावटी/अलंकृत फर्श/आँगन मिलता है।
- तंदूर चूल्हा, उस्तरा, व्याध्र की मुद्रा।
- ऊँट, गाय, बैल, कुत्ता (प्रिय) सभी जानवरों के पालने की जानकारी थी। लेकिन घोड़ा पालने की जानकारी नहीं मिली।
कालीबंगा सभ्यता दो भागों में बँटी है :-
(1) दुर्गीकृत
(2) अदुर्गीकृत

- कालीबंगा की सभ्यता में संस्कृत साहित्य में बहुधान्यकटक शब्द का प्रयोग किया जाता है।
- यहां से विशाल सांडों की जुड़वा पैरो वाली मिट्टी की मूर्ति मिली।
- यहां से एक सिंग वाले देवता का चित्र मिला।
- कालीबंगा के पतन का कारण प्राकृतिक प्रकोप (बाढ़) को माना गया।
- कार्बन-14 रेडियो प्रणाली से पता लगाया कि सभ्यता 2300 ई.पू. -1750 ई.पू. की है।
2 आहड़ की सभ्यता :- यह सभ्यता उदयपुर जिले में बेड़च/आयड़ नदी के किनारे स्थित है। - खोज – अक्षय कीर्ति व्यास (1953 ई. में)
- उत्खनन/खुदाई – 1955-56 ई. में H.D. सांकलिया व R.C. अग्रवाल द्वारा।
- ताम्रवती सभ्यता।
- ग्रामीण सभ्यता।
- परिवार पितृ सत्तात्मक व संयुक्त परिवार प्रणाली।
- अन्न भंडारण हेतु कोठे/कोठी/ओबरी/सोहरी/गारे, धान (चावल) के अवशेष, पूजा की थाली, त्रिशूल, माप-तौल के बारे में जानकारी मिली है।
- सूती कपड़े पर छपाई – दाबू प्रिंट/ठप्पा प्रिंट कहते है।
- यूनानी देवता – अपोलों का चित्र मिला।
- यहाँ से बिना हत्थे वाले जलपात्र मिले।
- आहड़ का प्राचीनतम नाम धूलकोट था। इसका शाब्दिक अर्थ – रेत का टीला है।
3 गणेश्वर की सभ्यता :- इसे पुरातत्व का पुष्कर कहते है। - खोज :- 1972-76 ई. में रतन चन्द्र अग्रवाल द्वारा की गई।
- सीकर जिले में नीम का थाना खण्डेला की पहाड़ियों से कातली नदी के पास गणेश्वर गांव में गणेश्वर की सभ्यता मिली।
- भवनों का निर्माण पत्थरों से किया गया।
- दैनिक जीवन में काम आने वाली समस्त वस्तुएँ मिली।
- यहाँ मछली पकड़ने का कांटा मिला, जिससे यह पता चलता है कि कांतली नदी बारहमासी/सदाबहार बहती थी।
- यहाँ एक बाणाग्र मिला – अर्थात् यहाँ के लोग सर्वहारि थे।
- यहाँ पर सर्वाधिक शुद्ध (99%) तांबा मिला है।
- यहाँ से तांबा सिंधु घाटी सभ्यता में निर्यात हुआ करता है, इस सभ्यता को “ताम्र जननी सभ्यता” कहते है।
4 बैराठ की सभ्यता :- - बैराठ सभ्यता की खोज 1937 में दयाराम साहनी ने की।
- बीजक की पहाड़ियाँ जयपुर जिले में स्थित है, जिन्हें बीजक/भीन/भोमली व महादेव की पहाड़ी कहा जाता है।
- बैराठ का प्राचीन नाम विराटनगर था, जो मत्स्य जनपद की राजधानी थी।
- यहाँ के राजा विराट के पास पांडवों ने अपना अज्ञात वास गुजारा।
- बैराठ की पहाड़ियों से बाण गंगा निकलती है, जिसे अर्जुन की गंगा कहते हैं।
- बैराठ से अशोक का भाब्रू शिलालेख मिला, जिसकी खोज 1837 में कैप्टन बर्ट ने की।
- वर्तमान में यह कलकत्ता संग्रहालय में सुरक्षित है। इस शिलालेख में अशोक ने कहा- “मैं बुद्ध, धम्म और संघ में अटूट विश्वास रखता हूँ।”
- यहाँ से अशोक की आहत मुद्रायें मिली जो पंचामार्क मुद्रा कहलाती है। ये भारत की प्राचीनतम मुद्रायें है।
- अशोक ने बैराठ में बौद्ध विहार, बौद्ध स्तूप व बौद्ध मठ बनवाए।
- बैराठ से गौतम बुद्ध की प्राचीनतम प्रतिभा मिली।
- बैराठ से मौर्य सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए।
- बैराठ राजस्थान में बुद्ध धर्म का सबसे प्राचीनतम स्थल है।
- बैराठ पर हुण शासक तोरमाण व मिहिर कुल का भी अधिकार रहा।
- बैराठ से यूनानी शासक मिनेन्डर की सूती कपड़े में लिपटी हुई मुद्राएँ मिली।
- चीनी यात्री हेनसांग ने बैराठ की यात्रा की। हेनसांग को नीति का पंड़ित व यात्रियों का राजकुमार कहा जाता है।
- हेनसांग की ग्रंथ :- सी.यु.की.
- हेनसांग ने बैराठ के लिए पारयात्र शब्द का प्रयोग किया।
राजस्थान के प्राचीन स्थल - गंगानगर :-
तरखाना वाला
अनूपगढ़
चक-84 - जैसलमेर :-
ओला
कुण्डा
लोद्रवा
सानु/परिवार (क्रिस्टेशियस काल के चूहें के दांत मिले।) - बीकानेर :-
छापरी
पुंगल
सांवलिया - जयपुर :-
बैराठ
चीथवाड़ी - जोधपुरा
नंदलालपुरा
नलियासर-सांभर - भरतपुर :-
दर
नोह (स्वास्तिक चिह्न, जाख बाबा/यक्ष बाबा की मूर्ति मिली)
बयाना
श्रीपंथ
मलाह (मडली पकड़ने का ‘हारफुन’ यंत्र मिला।) - उदयपुर :-
आहड़
झाड़ोल
ईश्वाल
बालाथल
वल्लभ नगर - हनुमानगढ़ :-
पीलीबंगा
कालीबंगा
रंगमहल - सीकर :-
गुरारा
गणेश्वर
सहोगरा - झुंझुनूं :-
खेतड़ी
सनारी - सवाई माधोपुर :-
कोल-माहौली - अलवर :-
डडीकर - टोंक :-
रेढ़
नगर - भीलवाड़ा :-
बागौर
ओझियाना (खोज :- 1967-69 में बी.एन. मिश्र व एल.एस. लेशनी)
बांका गांव (राजस्थान की प्रथम अलंकृत गुफा) - कोटा :-
दर्रा
आलनिया
तिपटिया - नागौर :-
खुड़ी
जायल
कुराडा
डीडवाना - अजमेर :-
बुढ़ा पुष्कर - जालौर :-
एलाना - जोधपुर :-
बिलाड़ा
उम्मेद नगर - मण्डोर :- प्राचीन नाम माण्डव्यपुर।
- मंदोदरी यहीं की रहने वाली थी, जिसका विवाह रावण से हुआ।
- रावण की चँवरी (मण्डप) यही स्थित है।
- मण्डोर के ओझा (उपाध्याय) ब्राह्मण दशहरे को शोक पर्व की रूप में मनाते है।
- दशहरा अश्विन शुक्ल दशमी को आता है।