1 शैव सम्प्रदाय :- राजस्थान में उदयपुर राज घराने ने आश्रय दिया।
स्थापना :- संत लकुलीश ने।

  • बप्पारावल ने कैलाशपुरी गांव उदयपुर में भगवान एक लिंग जी का मंदिर बनवाया। जिसकी मरम्मत मोकल, कुम्भा व राजसिंह ने करवायी।
  • मेवाड़ के शासक एकलिंग जी को अपना राजा मानते थे व स्वयं को इनका दीवान मानते थे।
  • ये एकलिंग जी के मंदिर में कभी भी तलवार लेकर नहीं जाते थे। मात्र एक छड़ी लेकर जाते थे।
    शैव सम्प्रदाय चार भागों में बँटा हुआ है :-
    1 कापालिक (राजस्थान)
    2 पाशुपत (राजस्थान)
    3 वीर शैव/काश्मरिक (कश्मीर)
    4 लिंगायत (दक्षिण भारत)
    एकलिंग जी :- भगवान शिव की चतुर्मुखी प्रतिमा (काले रंग की होती है।)

2 वैष्णव सम्प्रदाय :- भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह वह
सम्प्रदाय है जिसे राजस्थान में उदयपुर राजघराना ने आश्रय दिया। कुम्भा द्वारा विष्णु जी को माना जाता है।

  • इस सम्प्रदाय की सर्वप्रथम जानकारी घोसुण्डी शिलालेख, चित्तौड़गढ़ से मिली।
  • मेवाड़ शासक कुंभा भगवान विष्णु का उपासक था। इसने विजय स्तम्भ भगवान विष्णु को समर्पित किया।
    वैष्णव सम्प्रदाय 4 भागों में बँटा हुआ है :-
    1 विशिष्टा द्वेतमत – रामानुजाचार्य
    2 द्वैतमत – महवाचार्य
    3 शुदाद्वेतमत/पुष्टीमार्ग – वल्लभाचार्य
    4 द्वैताद्वैतमत/भेदाभेद – निम्बकाचार्य
    Trick :- “विद्वेशुद्धे रामवनि”

SUBJECT QUIZ

3 नाथ सम्प्रदाय :- इसकी प्रधानपीठ–महामंदिर (जोधपुर) निर्माण के समय मानसिंह राठौड़ (1803-43) शासक था।

  • इसका निर्माण गुरु अयासनाथ के सम्मान में करवाया।
    प्रमुख गुरु :- मत्स्येन्द्र/मच्छंदर नाथ/गोरखनाथ ।
  • मत्स्येन्द्र/मच्छंदर नाथ के दो मंदिर है :-
    1 उदयपुर – सैइयां मंदिर (यहां की सांझी प्रसिद्ध है।)
    2 कमलेश्वर – इन्द्रगढ़, लाखेरी (बूंदी)
    नाथ सम्प्रदाय के दो भाग है :-
    1 मानपंथ :- प्रमुख मंदिर – महामंदिर, जोधपुर ।
    2 बेरांग पंथ :- राता डूंगा, पुष्कर।
  • माननाथी सम्प्रदाय को मानने वाले नाथ कनफटे नाथ’ कहलाते है।

4 रामस्नेही सम्प्रदाय :-
प्रवर्तक :- संत रामचरण जी
वास्तविक नाम :- रामकिशन। जन्म :- सोढ़ा ग्राम, टोंक।
प्रधान पीठ :- शाहपुरा, भीलवाड़ा
प्रार्थना स्थल/प्रमुख स्थल :- रामाद्वारा कहलाता है, जिसमें गुरु का चित्र होगा। “कोई भी व्यक्ति बिना गुरु के भव सागर को पार नहीं कर सकता” यह लिखा हुआ है।
सम्प्रदाय के अन्य स्थल :-
खेडापा जोधपुर – रामदास जी
सिहंथल – बीकानेर – हरिराम दास जी
रेण – नागौर – संत दरियावजी

  • इस सम्प्रदाय में “फुलडोल महोत्सव” किया जाता है। यह महोत्सव 111 (चैत्र कृष्ण एकम्) से 115 (चैत्र कृष्ण पंचमी) मनाया जाता है।
    संत दरियाव जी :जन्म :- जैतारण, पाली।
    प्रमुख स्थल :- रैण, नागौर।
  • जयपुर इन्होंने रेण, नागौर में दो ईटो पर बैठकर तपस्या की। कहते है कि आज भी इन ईंटों को पानी में छोड़ते हैं तो पानी में डूबती नहीं।
  • यह निरगुण सम्प्रदाय कहलाता है।

5 रामानन्दी/रामानुज सम्प्रदाय :-
प्रवर्तक :- संत रामानुज व रामानंद।
स्थान :- जयपुर।

  • रामानन्दी भक्ति समुदाय की स्थापना किल्हदास पायहारी ने गलता, जयपुर में की।
  • Monkey Valley / बंदरों की घाटी (गलता, जयपुर)
  • राजस्थान की छोटी काशी (गलता, जयपुर)
  • गालव ऋषि का आश्रम, गोमुख कुण्ड, सूर्यमंदिर।
  • वर्तमान में गुरु/संत अवधेशाचार्य जी महाराज।
    रामानन्द के प्रमुख शिष्य :- पीपा, धन्ना, कबीर, रेदास ।
    पृथ्वीराज कछवाह के गुरु :- गुरु संत चतुरनाथ थे।

ONE LINER QUESTION ANSWER

6 गौड़ीय सम्प्रदाय :-
प्रवर्तक :- गोरांग महाप्रभु चैतन्य।

  • इस सम्प्रदाय को जयपुर राज घराने ने आश्रय दिया है। सवाई जयसिंह के काल में गोविन्द देवी जी की मूर्ति वृंदावन से लाकर जयपुर में स्थापित की गई।
  • चन्द्रमहल/City Place से इनकी मूर्ति स्पष्ट नजर आती है।
  • जयपुर के शासक अपना राजा गोविन्द देव जी को व स्वयं को इसका दीवान समझते थे।
  • वृंदावन में गोविन्द देव जी मंदिर मानसिंह प्रथम ने बनवाया।
  • मदनमोहन जी का मंदिर का निर्माण गोपाल सिंह ने करौली में करवाया।

7 वल्लभ सम्प्रदाय :- इस सम्प्रदाय में भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप में पूजा की जाती है।
प्रमुख पीठ :-
1 विठ्ठलदास मंदिर, नाथद्वारा – राजसमंद
2 मथूरेश, कोटा
3 द्वारिकादीश मंदिर, कांकरोली।
4 मदनमोहनजी, कामवन – भरतपुर ।
5 गोकूल चन्द्रजी, कामवन – भरतपुर।
6 गोकूलनाथजी, गोकूल – उत्तरप्रदेश।
7 बाल कृष्ण जी, सूरत – गुजरात। नाथद्वारा की पिछवाईयाँ प्रसिद्ध है।

8 निम्बार्क सम्प्रदाय :- इसे सनकादी सम्प्रदाय भी कहते है।

  • इस सम्प्रदाय में भगवान श्री कृष्ण के युगल रूप की पूजा की जाती है।
    प्रधान पीठ :-
    1 सलेमाबाद – अजमेर (रूपनगढ़ नदी)। परशुराम आचार्य (संस्थापक)
    2 उदयपुर।

NOTES

9 चरणदासी सम्प्रदाय :-
प्रर्वतक :- चरणदास जी
जन्म :- डेहरा (अलवर)
प्रधान पीठ :- दिल्ली

  • 42 नियम चलाए जिसे अपनाने वाले चरणदासी सम्प्रदाय कहलाए। 3 शिष्या :-
    1 सहजो बाई – सहज प्रकाश (ग्रंथ)
    2 दया बाई – दया बोध, विनय मालिका (ग्रंथ)।
  • चरणदास जी ने दिल्ली पर नादिरशाह के आक्रमण (1739) की भविष्यवाणी कर दी थी।
  • इसके समय जयपुर का शासक सवाई जयसिंह था।

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10 परनामी सम्प्रदाय :-
प्रवर्तक :- प्राणनाथ जी
प्रधान पीठ :- पन्ना (मध्यप्रदेश) | राजस्थान में इस सम्प्रदाय की एकमात्र पीठ आदर्श नगर, जयपुर। में स्थित है।

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