राजस्थान की लोक देवियाँ
1 केलादेवी :-
मंदिर :- त्रिकूट पहाड़ी (करौली)
करौली के यदुवंशी शासकों की कुलदेवी।
मेला (लक्खी मेला)- चैत्र शुक्ल सप्तमी व अष्टमी (1-2-78)
सामने – बोहरा भक्त की छतरी
गीत – लांगुरिया,
नृत्य – घुणक्कण।
2 करणी माता/रिद्धी बाई :-
मंदिर :- देशनोक, बीकानेर।
निर्माण :- कर्णसिंह ने।
माता का मंदिर चूहों के मंदिर के रूप में विश्व प्रसिद्ध है। सफेद चूहे काबा कहलाते है। उनके भक्त देपावत कहलाते है।
इन्हें बीकानेर के राठौड़ों की व चारण जाति की कुलदेवी माना जाता है।
चारण व पारिक जाति के लोग कपिलमुनि के मेले में भाग नहीं लेते है।
3 नारायणी माता :-
मंदिर :- बरवा की डूंगरी, राजगढ़ तहसील, अलवर।
वास्तविक नाम :- करमेती बाई।
पति :- भीमसेन नाई।
इन्हें मीणा व नाई अपनी देवी मानते है।
4 जीण माता :-
मंदिर :- हर्ष की पहाड़ी, रेवासा (सीकर)।
निर्माण :- शेव आचार्य हटड़।
मधुमक्खियों की देवी।
मंदिर के समीप हर्षनाथ जी का मंदिर है।
इन्हें चौहानों की कुलदेवी माना जाता है।
1669 में औरंगजेब की सेना मंदिर तोड़ने में असफल रही।
5 शाकम्भरी/सकराय माता :-
मंदिर :- सांभर (जयपुर), उदयपुर वाटी (झुंझुनूं), सहारनपुर (UP)
निर्माण :- वासुदेव ने।
इन्होंने अकाल के समय कंद-मूल, फल बांटकर अकाल पीड़ितों की रक्षा की। अतः माता शाकम्भरी कहलाई।
खण्डेलवालों की कुलदेवी।
6 तनोट माता :-
रूमाली माता/सैनिकों की देवी/थार की वैष्णों देवी।
7 अर्बुदा माता :-
मंदिर :- गुरुशिखर के ठीक ऊपर स्थित है।
स्थान :- माउण्ट आबू, सिरोही।
राजस्थान में सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित मंदिर है।
राजस्थान की वैष्णो देवी।
8 रानी सती/दादी जी :-
वास्तविक नाम :- नारायणी बाई।
पति :- तनधन दास।
मंदिर :- विश्व का सबसे बड़ा सती मंदिर झुंझुनूं में है।
तनधन दास की हत्या हिसार के नवाब झारचंद ने कर दी। माता ने चामुण्डा का रूप धारण किया व नवाब की हत्या कर दी।
मेला :- भाद्रपद मास की अमावस्या को लगता था।
1987 से कैप्टन मोहनसिंह की पत्नी रूप कँवर दिवराला गाँव (सीकर) सती महिमा कांड के बाद राजस्थान के सभी सती मेलों
पर रोक लगा दी।
9 शीला देवी :- आमेर, जयपुर।
प्रतिमा :- मानसिंह प्रथम ने 1604 में बंगाल विजय से लाया था।
यह अष्टभुजी है। यह महिषासुर मर्दिनी के रूप में पूजनीय है।
इसका मेला नवरात्रों में लगता है। यह कच्छवाह राजवंश की कुलदेवी है।
इनके दरबार में शराब का प्रसाद मिलता है।
10 शीतला माता :- शील की डूंगरी, चाकसू (जयपुर)।
मंदिर का निर्माण :- सवाई माधोसिंह प्रथम ।
पुजारी :- कुम्हार।
वाहन :- गधा/गदर्भ।
चेचक (बड़ी माता) व बोदरी (छोटी माता) की देवी।
प्रतीक चिह्न :- दीपक (मिट्टी की कटोरिया)।
भोग :- ब्यासोड़ा (ठण्डा भोजन)।
मेला :- शीतलाष्टमी को लगता है। (118)
माता की खण्डित रूप में पूजा होती है।
11 बड़ली माता :- दीपो/छीपों का अकोला, चित्तौड़गढ़।
बेड़च नदी के किनारे।
तांती/ताबीज बांधने से बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है।
12 भदाणा माता :- भदाणा, कोटा।
मूठ की देवी।
हाडा राजवंश की कुलदेवी।
कोटा के शासकों की कुलदेवी।
13 आई माता :- बिलाड़ा, जोधपुर ।
सिखी जाति की कुलदेवी।
मंदिर को दरगाह/बढेर/थान कहा जाता है।
मंदिर में दीपक से केसर टपकता है।
मंदिर में गुर्जरों का प्रवेश निषेध है।
यह रामदेव जी की शिष्या थी।
14 सच्चिया माता :- ओसिया, जोधपुर।
मंदिर का निर्माण :- वत्सराज प्रतिहार ने।
ओसवालों की कुलदेवी।
मंदिर के समीप सूर्य मंदिर स्थित है जिसका निर्माण वत्सराज प्रतिहार ने किया।
15 आवड़ माता/स्वागीया माता :- जैसलमेर।
जैसलमेर की भाटी राजवंश की कुलदेवी।
शकुन चिड़िया का अवतार।
16 हिंगलाज माता :- लोद्रवा, जैसलमेर।
जैसलमेर के भाटी राजवंश की आराध्य देवी।
17आशापुरा माता :- जालौर।
सोनगरा चौहानों की कुलदेवी।
18 चामुण्डा माता :- मेहरानगढ़ दुर्ग, जोधपुर ।
जोधपुर के राठौड़ों की आराध्य देवी।
30 सितम्बर, 2008 को भगदड़ मची। इसकी जांच के लिए जसराज चौपड़ा कमेटी का गठन किया गया।
जाँच में बताया गया कि नारियल के पानी से फिसलन हो गई तथा भगदड़ मच गई।
19 नागणेची माता :- 18 भुजाओं वाली।
जोधपुर के राठौड़ों की कुलदेवी।।
माता की मूर्ति लकड़ी की बनी हुई है।
मेहरानगढ़ दुर्ग :- जोधपुर (राव जोधा)।
नगाणा :- बाड़मेर (राव धुहड़ जी)
20 बाण माता :- सिसोदिया राजवंश की कुलदेवी।
21 राजेश्वरी माता :- भरतपुर के जाट राजवंश की कुलदेवी।
22 अन्नपूर्णा माता/जमवाय माता :- जमवा रामगढ़, जयपुर।
कच्छवाह राजवंश की कुलदेवी।
23 ज्वाला माता :- जोबनेर, जयपुर।
24 छींक माता :- गोपाल जी का रास्ता, जयपुर।
25 भंवाल माता :- नागौर।
26 लटियाल माता :- फलौदी, जोधपुर ।
मंदिर/धाम :- खेजड़ी धाम के नीचे।
इसे खेजड़ बेरी रायभवानी कहा जाता है।
27 सुधा माता :- जालौर।
राजस्थान का 1st रोप वे – 800 मीटर।
2nd रोप वे – आशापूर्णा, करणीमाता (उदयपुर)।
3rd रोप वे – सावित्री देवी – पुष्कर, अजमेर । सावित्री पहाड़ी पर।
28 चौथ माता :- चौथ का बरवाड़ा, सवाई माधोपुर ।
करवा चौथ :- 814 को (कार्तिक कृष्ण चतुर्थी)
मेला :- 11-1-4 को लगता है। (माघ कृष्ण चतुर्थी)
29 भद्रकाली माता :- हनुमानगढ़।
30 मंशा माता व शारदा देवी :- चूरू, झुंझुनूं
31 हर्षद माता :- आभानेरी, दौसा।
32 गंगा माता :- भरतपुर ।
33 छींछ देवी :- बांसवाड़ा।
34 ब्रह्माणी माता :- बाँरा (सोरसन)
पीठ का पूजा।
35 त्रिपुरा सुंदरी/तुरताई माता :- तलवाड़ा, बांसवाड़ा।
वसुंधरा की देवी।
36 घेवर माता :- राजसमंद।
37 केवाय माता :- किणसरिया गाँव, नागौर।
38 अंबिका माता :- जगत मंदिर (उदयपुर)। मेवाड़ का खजुराहो।
39 दधि माता :- गोढ़-मांगगेद, नागौर।
40 आमजा माता :- भीलों की कुलदेवी।
41 जिलाणी माता :- बहरोड़, अलवर।
42 खोरड़ी माता :- करौली।
43 पपलाज माता :- दौसा।
44 पिप्पलाद माता :- राजसमंद।