ट्रेनिसः नडाल को स्पोर्ट्समैनशिप तो फेडर को लगातार 18वें साल फैंस फेवरेट अवॉर्ड

नोवाक जोकोविच, रोजर फेडरर, राफेल नडाल को एटीपी अवॉर्ड मिले। जोकोविच ने छठी बार साल का अंत रैंकिंग में नंबर-एक खिलाड़ी के रूप में किया। वे 300 हफ्ते तक नंबर-1 पर रहने वाले सिर्फ दूसरे खिलाड़ी हैं। स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर को लगातार 18वें साल फैंस फेवरेट का अवॉर्ड मिला। वहीं स्पेन के टेनिस खिलाड़ी नडाल को लगातार तीसरी और ओवरऑल चौथी बार स्पोर्ट्समैनशिप अवॉर्ड मिला।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के सर्वोच्च मिलिट्री सम्मान लीजन ऑफ मेरिट से नवाजा

मोदी को मिला अमेरिकी लीजन ऑफ मेरिट सम्मान वॉशिंगटन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के सर्वोच्च मिलिट्री सम्मान लीजन ऑफ मेरिट से नवाजा है। यह भारतअमेरिका के रणनीतिक रिश्ते बढ़ाने के लिए दिया गया। मोदी की गैरमौजूदगी में अमेरिका में भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने ये सम्मान ग्रहण किया।
ब्रैडमैन की डेब्यू टेस्ट कैप 2.52 करोड़ रु. में बिकी

मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन की डेब्य टेस्ट कैप 2.52 करोड़ रुपए में नीलाम हुई। ब्रैडमैन ने 1928 में पहला मैच खेला था। इसे कारोबारी और रोड माइक्रोफोन्स के फाउंडर पीटर फ्रीडमैन ने खरीदा है। ऑस्ट्रेलिया के ही शेन वॉर्न की टेस्ट कैप पिछले दिनों 5.61 करोड़ रुपए में बिकी थी। वॉर्न ने 2006 में क्रिकेट से संन्यास लिया था।
बाइडेन की आर्थिक टीम में भारतवंशी रामामूर्ति भी

अमेरिका के चुने गए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपनी आर्थिक परिषद में भारतवंशी भारत रामामूर्ति को जगह दी है। ये घरेलू-अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति-निर्धारण प्रक्रिया का समन्वय करती है। इस परिषद में तीन सदस्य होंगे। बाइडेन इससे पहले अपनी दूसरी टीमों में नीरा टंडन, डॉक्टर विवेक मूर्ति, माजू वर्गीस और पुनीत तलवार जैसे भारतवंशियों को जगह दे चुके हैं।
चिल्लाई-कलां उत्सव : 21 दिसम्बर

घाटी में सर्दियों को उत्सव के तौर पर मनाने की परम्परा को चिल्लाई-कलां कहा जाता है। 21 दिसम्बर से इस उत्सव की शुरुआत हो गई है। यह 40 दिन तक मनाया जाएगा। इसके बाद के अगले 20 दिन को चिल्लाई-खुर्द और उसके बाद के 10 दिनों को चिल्लाई-बच्चा के नाम से जाना जाता है।
एसएमएस सरकारी मेडिकल कॉलेज, जहां होगी ट्रांसप्लांट सर्जरी की पढ़ाई

आने वाले तीन सालों में राजस्थान मेडिकल एजुकेशन का हब बन जाएगा। क्योंकि अब हर जिले में सरकारी मेडिकल कॉलेज वाला राजस्थान देश का पहला राज्य होगा। अभी प्रदेश में 33 में से 15 जिलों में मेडिकल कॉलेज हैं। इसके अलावा 15 जिलों में भी मेडिकल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव केंद्र पास कर चुका है। सिर्फ राजसमंद, जालौर और प्रतापगढ़ ही तीन ऐसे जिले हैं जहां अभी मेडिकल कॉलेज नहीं हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इनके लिए भी केंद्र को प्रस्ताव भेज रखा है। इसके पारित होते ही सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज खुल जाएंगे। यही नहीं अभी 15 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 2830 एमबीबीएस सीटें हैं। शेष 18 जिलों में 100-100 सीटों के हिसाब से करीब 1800 सीटें बढ़ने पर लगभग 5 हजार सीटें हो जाएंगी। यानी अगले 3 साल बाद प्रदेश को हर साल 5 हजार नए डॉक्टर मिलने लगेंगे। इससे डॉक्टरों की कमी नहीं होगी। लोगों को भी क्वालिटी वाला इलाज मिलेगा। योजना के तहत खुलने वाले एक मेडिकल कॉलेज पर करीब 325 करोड़ रु. खर्च होंगे। इसमें 60% केंद्र व 40% राज्य सरकार खर्च करेगी
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भंडारी का कहना है कि कॉलेज प्रशासन की ओर से प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेजा गया है। इसमें मैनपॉवर, इन्फ्रास्ट्रक्चर और उपकरण शामिल हैं। अनुमति मिलने के बाद एक और नया विभाग बन जाएगा।
राजस्थान के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज

सवाई मानसिंह कॉलेज (एसएमएस) की डॉ. हाइलीज लाइब्रेरी भी देश की सबसे बड़ी मेडिकल लाइब्रेरी है। 1947 में देश की आजादी के साथ ही इसकी नींव रखी गई थी और तब से यह मेडिकल स्टूडेंट का बड़ा सहारा है। इससे बनाने का श्रेय जाता है 1942 से 1945 तक जयपुर रियासत के प्रधानमंत्री रहे सर मिर्जा मुहम्मद इस्माइल को। दरअसल, 1945 में सीकर दौरे के दौरान मिर्जा वहां के राव राजा कल्याण सिंह के यहां गए थे। वहां के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. एससी मेहता से बातचीत में उन्हें पता चला कि अन्य राज्यों के डॉक्टर्स यहां आने के बाद अपने गृह राज्यों में अच्छे पद मिलते ही वापस चले जाते हैं। इस कारण यहां हमेशा डॉक्टर्स की कमी बनी रहती है। ऐसे में मिर्जा ने नए मेडिकल कॉलेज का सपना देखा। मिर्जा इस काम में ऐसे जुटे कि देश के तत्कालीन वायसराय व गवर्नर जनरल लॉर्ड वैवेल द्वारा 1946 में ही एसएमएस मेडिकल कॉलेज की आधारशिला रख दी गई व उसके अगले वर्ष यहां काम शुरू हो गया।
कॉलेज के निर्माण के साथ ही लाइब्रेरी की भी नींव रखी गई। इस लाइब्रेरी में अभी 1.07 लाख से अधिक किताबें हैं, जबकि 44533 इंटरनेशनल और नेशनल जर्नल्स हैं। इसके अलावा 3200 थीसिस भी हैं। यहां 500 स्टूडेंट एक साथ बैठ सकते हैं। हालांकि अभी भी 200 मेडिकल स्टूडेंट रोजाना यहां आते हैं। कमरे भी पूरी तरह एयरकंडीशन्द्र हैं। इसी लाइब्रेरी में एक सेमिनार रूम भी है।
अमेरिकाः जो बाइडेन लाइव टीवी पर कोरोना वैक्सीन का पहला डोज लगवाया

अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन ने सोमवार को सार्वजनिक तौर पर फाइजर वैक्सीन का पहला डोज लगवाया। बाद में कहा- बेफिक्र रहें, यह बिल्कुल सेफ है। बाइडेन के वैक्सीनेशन कराने के कुछ घंटे पहले उनकी पत्नी जिल ने भी वैक्सीनेशन कराया। दोनों को यह वैक्सीन नेवार्क डेलावेयर के क्रिस्टीना हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में लगाया गया। इस दौरान टीवी कैमरों की मौजूदगी रही।
एएमयू मिनी इंडिया, यहां कुरान के साथ गीता भी : नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। 35 मिनट के भाषण के दौरान पीएम ने कहा’ एएमयू मिनी इंडिया है। यहां कुरान और गीता के साथ कई ग्रंथ भी हैं।
पद से हटने पर भी पुतिन या उनके परिवार पर केस नही चल सकेगा, गिरफ्तारी भी नहीं

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उस कानून को मंजूरी दी, जिसके तहत पद से हटने के बाद भी उन्हें मुकदमे का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस प्रावधान से जुड़ा कानून ऑनलाइन प्रकाशित हुआ। इसमें कहा गया है कि अपने जीवनकाल में किए गए अपराधों के लिए राष्ट्रपति(पुतिन) या उनके परिजन पर आपराधिक मुकदमा नहीं किया जा सकता। साथ ही पुलिस या जांचकर्ताओं की टीम गिरफ्तार नहीं कर सकती और न ही उनसे पूछताछ कर पाएगी। इसके साथ ही ये भी प्रावधान है कि राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद भी जीवनभर ऊपरी सदन के सदस्य बनने रहेंगे। नए संशोधन के दायरे में रूस के पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी आएंगे। फिलहाल पूर्व राष्ट्रपतियों में केवल दमित्री मेदवेदेव ही जीवित हैं, जो पुतिन के करीबी रह चुके हैं। वे प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं।
संशोधन : 2036 तक रह सकेंगे पद पर
पुतिन ने इस साल संविधान में दो बार संशोधन किया है। पहली बार जुलाई में संशोधन किया था। तब पुतिन को वर्ष 2036 तक के लिए राष्ट्रपति पद पर बने रहने के अधिकार दिए गए थे। अब दूसरे संशोधन के तहत पद से हटने के बाद भी राष्ट्रपति पर किसी तरह का आपराधिक मुकदमा नहीं चल सकेगा। संशोधन के बाद भी कोई राष्ट्रपति यदि गंभीर अपराध या राजद्रोह की श्रेणी में आएगा तो उसको अपवाद की श्रेणी में रखा जाएगा।